- रोज सुबह करते हैं संघियों की पूजा और राम नाम की देते हैं दुहाई
- कहा, सीएम की योग्यता यही, साहेब का गुणगान करो और अल्पसंख्यकों को कोसो
देहादून में हमारे पड़ोस में एक हलवाई है रामलाल। मीठी आवाज में बासी समोसे बेचना और मिलावटी खोये से बने रसगुल्ले किसी के भी गले में उतारने में रामलाल को महारत है। रामलाल ने जब से सुना है कि प्रदेश में संवैधानिक संकट हुआ तो भाजपा को एक नया सीएम तलाशना पड़ सकता है तो वो पूरे जोशो-खरोश से अगले सीएम बनने की तैयारी कर रहा है। रामलाल का दावा है कि उसके समोसों की धमक नागपुर तक है और पहुंच साहेब के किचन तक।
रामलाल हलवाई का कहना है कि उसे पता है कि राजा कनकपाल ने क्या किया और अजयपाल ने क्या किया? वह यह भी जानता है कि भारत अमरीका का नहीं, अंग्रेजों का गुलाम था और यह भी कि फटी जींस हो तो भी उसके समोसे बिकेंगे ही। उसे जींस से कोई ऐतराज भी नहीं है। वह विज्ञान को जानता है कि गाय आक्सीजन नहीं छोड़ती, ग्रहण करती है। साथ ही वह जानता है कि यदि पलायन रोकना है तो लोगों को रोजगार देना होगा, चाहे वह आलू छीलने या चटनी तैयार करने का ही क्यों न हो?
रामलाल हलवाई आंख मूंद कर साहेब की बात को ब्रह्रमांड का सबसे बड़ा सत्य मानता है। उसे लगता है कि धरती पर एक राम, एक कृष्ण और अब तीसरे भगवान के रूप में साहेब पैदा हुए हैं। उसकी यही अटूट और अंधभक्ति देखकर मुझे भी विश्वास हो रहा है कि अगला सीएम शायद वही बन जाए। जब लोकतंत्र में 70 में से 57 विधायक होने के बावजूद उत्तराखंड में पैराशूट सीएम आ जाएं तो क्या बुरा है कि रामलाल हलवाई के अरमान पूरे हो जाएं।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]