रानीपोखरी में पुल ढहा, दोषी कौन, भगवान या बारिश?

1336
  • जाखन नदी के डाउन स्ट्रीम में धड़ल्ले से चल रहा था खनन
  • पुल पर गुजरते थे रोजाना पांच हजार वाहन, अब बरसात होने के बाद ही होगा काम

रानीपोखरी में जाखन नदी पर बना पुल आज दोपहर को ढह गया। गनीमत रही कि उस समय वाहनों की अधिक आवाजाही नहीं थी। इसके बावजूद दो मालवाहक वाहन और एक कार बह गयी। पुल ढहने के बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र चचा, पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट और अन्य नेता व अफसर सक्रिय हो गये, लेकिन जब इस पुल के ठीक नीचे अवैध खनन चल रहा था तो माननीय नेता और अफसरगण सो रहे थे।
पुल रानीपोखरी की ओर से लगभग 25 मीटर यानी पांच स्पान ढह गया जबकि डोईवाला की ओर से तीन स्पान यानी 15 मीटर तक ढह गया। विकल्प बरसात बंद होने के बाद अपस्ट्रीम की ओर पुल बनेगा। तब तक वाहनों को नेपाली फार्म होते हुए भानियावाला जाना होगा। यह पुल 1964 का था। यहां नया पुल को मंजूरी दो साल पहले मिली थी। डीपीआर भी बन चुकी हैं। नेशनल हाईवे इस पर काम भी कर रहा है लेकिन वन भूमि का कोई पेच फंसा है।
पीडब्ल्यूडी ऋषिकेश डिवीजन के एई राजेश के अनुसार हालांकि यह पुल पुराना है लेकिन डाउनस्ट्रीम में खनन हुआ है। नियमानुसार पुल से 500 मीटर तक खनन नहीं होना चाहिए। नदी के स्ट्रीम में लेबल ठीक है लेकिन डाउन स्ट्रीम में खनन होने से पानी का झुकाव पुल की ओर हो गया और इससे पुल के पिल्लर भी कमजोर हुए।
बहरहाल, उत्तराखंड में पुल गिरना या सड़कों पर भूस्खलन होना नीयति बन गयी है। यदि यात्री बच गये तो भगवान की कृपा और कोई अनहोनी हो गयी तो प्राकृतिक आपदा। न प्रबंधन दोषी, न विभाग, न नेता, न ठेकेदार। सब गोलमाल है भाई।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

सावधान नेताओ, सावधान। ये तनी हुई मुट्ठियां कुछ कहती हैं

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here