हर कोई गांधी नहीं बन सकता

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1947 को आजादी मिलने के बाद ही मुस्लिम पाकिस्तान जाने लगे। गुरुग्राम के मेवात इलाके में बड़ी संख्या में मेव पाकिस्तान जाने के लिए तैयार हो गये थे। गांधी जी को पता लगा तो मेवात के गांव घासेड़ा पहुंच गये। मेव समुदाय को मनाया, जब नहीं माने तो गांधी जी रास्ते में लेट गये। कहा, यदि पाकिस्तान जाना है तो मुझ पर चढ़कर जाओ। मेव भारत में ही रह गये।
2 अक्टूबर गांधी जी के जन्मदिन को मोदी सरकार भी उनको नमन कर रही थी। खूब जोर-शोर से गांधी जयंती मनायी। इसके ठीक एक दो दिन बाद ही यूपी के लखीमपुर में खूनी खेल हो गया। नेताओं की किसानों के प्रति इतनी नफरत बताती है कि इस देश में लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है। कितना अच्छा होता कि प्रधानमंत्री मोदी उत्तराखंड आने से पहले लखीमपुर जाते। मृतकों के परिजनों को संवेदना देते? लेकिन अब के नेताओं में इतनी संवदेनशीलता कहां? नाक बड़ी रहनी चाहिए। सत्ता में सब मदमस्त हाथी हैं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

ओ सरकारी नौकरों, तुम धरती के भगवान हो, फिर हड़ताल क्यों?

 

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