कन्या लग्नः कन्या लग्न एक द्विस्वभाव लग्न है तथा उसका स्वामी बुध है। इस लग्न की प्रकृति सौम्य है और राशि स्त्री है। यह एकमात्र ऐसी राशि है, जिसका स्वामी बुध इसी राशि के 15 अंश पर उच्च होता है तथा बुध का मूल त्रिकोण भी इस राशि के 16 से 20 अश तक होता है। बुध लग्न तथा दशम भाव में अति शुभ फल प्रदान करता है। मंगल और शनि के प्रभाव में लग्न और बुध हो, तो अशुभ होता है।
शुभ ग्रहः शक्र धनेश व नवमेश तथा बुध लग्नेश व दशमेश होकर प्रबल कारक बन जाते है। इनकी शुभ स्थिति दशा-महादशा में प्रबल सुखकारक होती है। यदि ये अशुभ हो तो इनके उपाय करने चाहिए।
अशुभ ग्रहः बृहस्पति, चन्द्रमा व मंगल इस लग्न के लिए अति अशुभ है। मंगल दशा में मारकेश है अतः इनकी दशा महादशा में सावधानी रखते हुए योग्य उपाय करते रहना चाहिए।
कन्या लग्न के जातक किसी दूसरे के सुख दुख की उपेक्षा नहीं करता। उसे दूसरे से काम लेने में भी हिचकिचाहट नहीं होती है। आप बहुत र्बुिद्वमान होते है, इसलिए उन्हें साथी का चयन करने में बहुत कठिनाई होती है, क्योंकि वो चयन करते समय हर बात से अधिक साथी के बुद्विमान होने पर अधिक जोर देते है। मेरे खुद के अनुभव से देखा कि कन्या लग्न में अगर बुध खराब नहीं है तो जातक हमेशा अपनी उम्र से कम दिखाई देते है।
इनकी कुंडली में जब बुध अच्छी दशा में होती है तब ये ब्रोकर, एकाउटेंट, वकील, पत्रकार, इंजीनियर, सर्जन जैसे कामों का हिस्सा हो सकते है।
दिनेश अग्रवाल
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