कर्क लग्नः कर्क लग्न का स्वामी चन्द्रमा माना जाता है। यह जल तत्व प्रधान लग्न है। सूर्य, चन्द्रमा, बृहस्पति और मंगल इस लग्न के मित्र होते है जबकि बुध और शनि परम शत्रु है, शुक्र इस लग्न के लिए समभाव रखते है।
व्यक्ति को जो लग्न मिलती है उसके पीछे जन्मों के कर्म होते हैं, और जिस लग्न में भगवान राम ने अवतार लिया हो वह कोई मामूली लग्न नहीं हो सकती है। काल पुरुष की कुंडली में चतुर्थ भाव की राशि होने के कारण सुख, समद्वि, निवास स्थान और जनसम्पर्क बहुत उच्च कोटि का होता है। कुंडली में चन्द्रमा अच्छी और बलवान स्थिति में हो तो जातक बहुत ऊंचे पद पर आसीन होता है।
कर्क लग्न के जातक सामान्यतः काम के बाद तुरन्त आराम करना चाहते है। अक्सर इनको पेट की समस्या रहती है, इनको सबसे ज्यादा मानसिक समस्याएं होती है, इनका वैवाहिक जीवन आमतौर पर अच्छा नहीं होता है। संतान की तरफ से विरोध और विवाद का सामना करना पड़ता है। निर्णय लेने में अक्सर भावना के शिकार हो जाते है।
शुभ ग्रहः लग्नेश चन्द्रमा, पंचमेश मंगल और भागयेश बृहस्पति अति शुभ है। इनकी दशा-महादशाएं अति लाभकारी होती है। यदि ये गुरु ग्रह कुंडली में अशुभ स्थानों में हो तो उपाय अवश्य करें। मंगल प्रबल कारक ग्रह है।
अशुभ ग्रहः बुध, शुक्र व शनि अशुभता लिए होते है। शनि सप्तमेश होकर मारकेश हो जाता है। अतः इसकी दशा-महादशा, साढेसाती बेहद अशुभ हो सकती है। अतः योग्य उपाय करें, धर्म व न्याय के रास्ते पर चलें। व्यसनों से बचे।
तटस्थ ग्रहः सूर्य इस लग्न के लिए तटस्थ रहता है।
दिनेश अग्रवाल
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इस लग्न के जातको में सदैव नई चीज को सीखने की ललक और कला होती है