चिकित्सा शोध के अनुसार, यह स्वीकृत किया गया है कि ड्रग की लत अथवा नशीले पदार्थों के दुरुपयोग का विकार एक क्रोनिक व रिलेप्सिंग स्वास्थ्य संबंधी अवस्था है जो जेनेटिक, जैविक, परिवेश तथा जीवन शैली से संबंधित कारकों की वजह से होती है तथा इसका उपचार, परामर्श, जीवन शैली में बदलाव तथा दवाइयों से चिकित्सा उपचार करके किया जा सकता है। इसलिए किसी भी समाज में ड्रग संबंधी समस्याओं का समाधान करने के लिए एक सूचना संपन्न व बहु-आयामी कार्यनीति अपनाने की जरूरत होती है जो समय के अनुसार ड्रग आपूर्ति का समाधान करती है और ड्रग की मांग में कटौती होती है। सरकार के नकोर्ड तंत्र ने बड़े पैमाने पर ड्रग के दुरुपयोग संबंधी समस्या का समाधान करने मदद की है। इसके दिशा तथा अभिसरण के परिणामस्वरूप सभी एजेंसियों एवं हितभागियों द्वारा एकीकृत कार्रवाई की गई है जो एकल प्लेटफार्म पर नशीले पदार्थों की दुरुपयोग की समस्या का समाधान कर रहे हैं।
ड्रग के दुरूपयोग तथा अवैध तस्करी के विरूद्ध अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने ट्विट किया कि ‘’मैं,हमारे समाज से ड्रग के संकट का उन्मूलन करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्यरत सभी की प्रशंसा करता हूं। जीवन को बचाने का प्रत्येक ऐसा प्रयास महत्वपूर्ण है। आखिरकार, ड्रग्स अपने साथ अंधकार, विनाश तथा विध्वंस ही लेकर आती है।‘’
सरकार के नकोर्ड तंत्र ने ड्रग के दुरूपयोग की समस्या का समाधान करने के लिए बड़े स्तर पर सहायता की है। इसके निर्देशन एवं अभिसरण के फलस्वरूप नशीले पदार्थों के दुरूपयोग के विरूद्ध संघर्ष कर रहे सभी एजेंसियों तथा हितभागियों द्वारा एकल प्लेटफार्म पर एकीकृत कार्य करना संभव हुआ है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के नशामुक्त भारत अभियान, एक समुदाय आधारित जन-आंदोलन अभियान, की शुरूआत 15 अगस्त 2020 को देश के 272 सर्वाधिक असुरक्षित जिलों में नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के विरुद्ध की गई थी। जन-आंदोलन के दूसरे कदम के रूप में वर्ष 2022 में अन्य 100 सर्वाधिक असुरक्षित जिलों को इस सूची में जोड़ा गया था।
नशामुक्त भारत अभियान के जन्म के समय से परामर्श – संबंधी कार्यकलापों के माध्यम से बेहतरीन समुदाय संपर्क हेतु सक्रिय रूप से संकल्पना बनाने एवं कार्य करने वाले हितभागियों की सहायता से ड्रग की मांग में कटौती में बड़े परिवर्तन किए गए हैं। आज की तारीख तक 9.3 करोड़ से अधिक लोगों को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के बारे में जागृत किया गया है जिनमें 3 करोड़ से अधिक युवा तथा 2 करोड़ से अधिक महिलाएं शामिल हैं। इस मिशन में 2.7 लाख से अधिक शैक्षिक संस्थाओं ने भाग लिया है।
नशामुक्त भारत अभियान महिलाओं, बच्चों, शैक्षिक संस्थाओं तथा सिविल सोसायटी संगठनों की सहायता कर उन्हें इस कार्रवाई में आगे लाता है। इस अभियान में 8000 से अधिक मास्टर स्वयंसेवकों का मजबूत बल है जो नशीले पदार्थों के उपयोग के प्रतिकूल प्रभावों, सबसे दुरस्त क्षेत्रों में नशीले पदार्थों के साथ संघर्षरतलोगों के पुनर्वास तथा निवारण की प्रक्रिया का संदेश देने के लिए प्रशिक्षित तथा जानकार हैं। क्षेत्रीय भाषाओं में जनसामान्य से जुड़ने तथा सांस्कृतिक रूप से गहरा प्रभाव डालने और नशीले पदार्थों की मांग को अंत: प्रभावित करने के लिए कदम उठाने हेतु कई कार्यक्रम जैसे मैराथन, लोक संगीत, स्थानीय खेल-कूद कार्यक्रम, नाव अथवा साईकिल रैलियां तथा कई अन्य कार्यकलाप आयोजित किए जाते हैं। यह आश्रित लोगों तक पहुंचने तथा उनकी पहचान के लिए उच्च शैक्षिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, परिसरों तथा स्कूलों के साथ भागीदारी करने को प्रतिबद्ध है; सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम के साथ अस्पतालों तथा पुनर्वास केन्द्रों में परामर्श और उपचार सुविधाओं पर बल देते हुए यह अभियान ड्रग्स के उपयोग के बढ़ते ट्रेंड के लिए आरंभ से अंत तक एक संकल्प है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अम्ब्रेला स्कीम नशीली दवा की मांग में कमी की राष्ट्रीय कार्य योजना निवारक शिक्षा, जागरूकता, पुनर्वास उपचार, समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को वापस लाने तथा गरिमा जीवन जीने के लिए पर्याप्त सहायता प्रदान करने हेतु राज्य सरकारों, संघ राज्य क्षेत्रों, एनजीओ/अन्य स्वैच्छिक संगठनों, जिला और सरकारी अस्पतालों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। ड्रग्स के साथ संघर्षरत लोगों को नि:शुल्क सुविधाएं प्रदान करते हुए देश में नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों हेतु 341 एकीकृत पुनर्वास केन्द्र (आईआरसीए), 49 समुदाय आधारित संगतिपरक इंटरवेंशन (सीपीएलआई), 72 आउटरिच और ड्रॉपइन केन्द्र (ओडीआईसी) तथा 14 जिला नशामुक्ति केन्द्र (डीडीएसी) हैं। लाभवंचितों, उनके परिवारों तथा सामाजिक दायरे को चुनौतयों की जानकारी देने में सहायता करनातथा उनके लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करना।
प्रगति के इस दौर में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय राष्ट्रीय ड्रग्स निर्भता (एनडीडीटीसी) एम्स नई दिल्ली के सहयोग से नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों के लिए 25 उपचार सुविधाएं (एटीएफ) प्रदान करने को तैयार हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अभियान, नशामुक्त भारत अभियान के बैनर के तले राष्ट्र को नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों के लिए 25 उपचार सुविधाएं समर्पित की। ये 25 नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों के लिए उपचार सुविधाएं देशभर में सरकारी अस्पतालों में स्थित है इन्हें देश के अधिकतर शहरों तथा जिलों को कवर करने के लिए बढ़ाया जाएगा। सिमडेगा, झारखंड अथवा आजमगढ़, उत्तर प्रदेश में जिला अस्पतालों से लेकर सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज, विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश अथवा शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान, बैनमिना, कश्मीर जैसी बढ़ी अकादमिक संस्थाएं इसमें शामिल हैं।
ये नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों हेतु उपचार सुविधाएं (एटीएफ) 25 जिलों के सरकारी अस्पतालों में स्थापित की जाएंगी तथा सामान्य स्वास्थ्य देखभाल ढांचे के रूप में नशीली दवाओं के दुरूपयोग के रोगियों का उपचार करेगी। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग इस स्कीम को पूरी तरह से वित्तपोषित करता है तथा प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों, नि:शुल्क दवाओं एवं टिकाऊ अवसंरचना सहायता सेवाओं के प्रावधान में भाग लेने वाले सरकारी अस्तपालों की सहायता करता है।
जैसा कि गृह मंत्री ने संसद में कहा, ‘’हमारी सरकारी नीति बहुत स्पष्ट है, जो ड्रग का सेवन कर रहे हैं वे पीड़ित हैं। हमें उनके प्रति संवेदनशील होना चाहिए तथा पीडि़तों को उनके पुनर्वास हेतु अनुकूल माहौल देना चाहिए’’। नशीले पदार्थों के दुरूपयोग का मुद्दा अत्यधिक महत्वपूर्ण सामाजिक समस्या है जो आयु समूहों, लैंगिक भिन्नता, समुदायों एवं क्षेत्रों में समाज के वर्गों में कटौती करता है तथा परिवारों एवं व्यक्तियों की व्यक्तिगत वृद्धि को प्रभावित करता है। पुनर्वास के अवसर प्रदान करते हुए इससे पीड़ितों से जुड़े कलंक को समाप्त करने तथा युवाओं में ‘ड्रग्स को पहली बार न छूना’ के विचार को प्रभावी रूप से अंतगृहीत करते हुए नशीले पदार्थों के मामले के समाधान के लिए बहुआयामी कार्यनीति आवश्यक है। अभियान सफलतापूर्वक इन विचारों को आकर्षित करता है तथा ‘नशा मुक्त भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे आने हेतु जनता का समर्थन चाहता है।
(यह लेख सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार द्वारा लिखा गया है।)