ऐसी आजादी का अर्थ क्या है?

696
photo source: social media

आजादी के 75वें साल में भी भारत की हालत क्या है, इसका पता उस खबर से चल रहा है, जो ओडिशा की जगन्नापुरी से आई है। पुरी से 20 किमी दूर एक द्वीप में बसे गांव ब्रह्मपुर के दलितों की दशा की यह दर्दनाक कहानी आप चाहें तो देश के हर प्रांत में कमोबेश ढूंढ सकते हैं। ब्रह्मपुर में रहनेवाले 40 दलित परिवारों को अपना गांव छोड़कर भागना पड़ा है, क्योंकि बरसों से चली आ रही इस प्रथा को उन्होंने मानने से इंकार कर दिया था कि ऊँची जातियों के वर-वधु को डोलियाँ उन्हीं के कंधों पर निकाली जाएं। ये डोलियाँ वे बरसों से ढोते रहे और बदले में उन्हें दाल-चावल खाने को दे दिए जाते हैं। जब इन दलितों के बच्चे थोड़े पढ़-लिख गए तो उन्होंने अपने माता-पिता को यह बेगार करने से मना कर दिया। नतीजा यह हुआ कि गांव की ऊँची जातियों के लठैतों ने इन दलितों को मछली पकड़ने से वंचित कर दिया। उन्हें खाने के लाले पड़ गए। उनकी आमदनी के सारे रास्ते बंद हो गए। उन्हें गांव छोड़ना पड़ा और अब वे पास के एक अन्य गांव में अपने घास-फूस के झोपड़े बनाने का इंतजाम कर रहे हैं। कई लोग भागकर बेंगलूरू और चेन्नई में मजदूरी की तलाश में भटकने लगे हैं। यह झगड़ा तब तूल पकड़ गया, जब एक दलित ने नशे की हालत में मिठाई खरीदते वक्त एक ऊँची जात के दुकानदार के साथ जरा ठसके से बात की। उस गांव के सारे दलितों को कुए का पानी बंद कर दिया गया और उनकी नावों को ठप्प कर दिया गया। इसी प्रकार ओडिशा के कुछ अन्य गांवों में नाइयों और धोबियों पर भी अत्याचार हो रहे हैं। कई गांवों में इन जातियों को स्त्रियों के साथ बलात्कार तक हो जाते हैं लेकिन उन बलात्कारियों को दंडित करना तो दूर, उनकी रपट तक नहीं लिखी जाती है। 1976 में बंधुआ मजदूरी विरोधी कानून पारित हुआ था लेकिन आज भी सुदूर गांवों में यह कुप्रथा जारी है। हमारे नेता लोग चुनाव के मौसम में गांव-गांव घर-घर जाकर वोट मांगने में ज़रा भी नहीं हिचकते लेकिन इन दलितों और बंधुआ मजदूरों पर होनेवाले अत्याचारों के खिलाफ यदि वे सक्रिय हो जाएं तो ही मैं मानूंगा कि वे भारत की स्वतंत्रता के 75 वाँ साल का उत्सव सही मायने में मना रहे हैं। यदि भारत के करोड़ों दलित, आदिवासी और गरीब लोग जानवरों की जिंदगी जियें तो ऐसी स्वतंत्रता का अर्थ क्या रह जाता है?

काबुल में भारत अब क्या करे?

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here