फरीदाबाद, 12 जुलाई। सीएमए एवं टैक्स बार के अधिवक्ताओं की एक आवश्यक बैठक नेहरू ग्राउण्ड स्थित कार्यालय पर आयोजित की गई। इस बैठक में जिला टैक्स बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान संदीप सेठी, अधिवक्ता मीनू छौकर, सीएमए के चेयरमैन सचिन कथूरिया, एडवोकेट दीपक गेरा, दीपक छाबड़ा, राजेश गुप्ता, अजय सिंह, जितेन्द्र यादव सहित अन्य अधिवक्ता गण मौजूद थे।
सीएमए के चेयरमैन सचिन कथूरिया ने कहा कि जीएसटी लागू हुए पूरे देश में चार साल से ऊपर हो गए है। इसमें समय-समय पर कई बार बदलाव भी किए गए, लेकिन इसके बावजूद पूर्णतया: परिणाम नहीं मिल पा रहे है। छोटी-बड़ी समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है। जिसके कारण छोटा व्यापार करने वाले और प्रोफेशनलस को समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। जीएसटी के राज्य व केन्द्र के अधिकारियों को अपनी समस्या बताते व उसका निराकरण करने के लिए एक ज्ञापन तैयार किया गया। सचिन कथूरिया ने बताया कि जीएसटी की शुरूआत हुई तो सरकार ने बताया कि बहुत आसानी से इसको समझा जा सकता है, लेकिन आज के समय में यह सबसे कठिन प्रक्रिया हो गई है। जिसमें निरन्तर बदलाव होते रहते है। इससे इस प्रकार को समझने में कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कथूरिया ने कहा कि मेरा सुझाव है कि निश्चित समय पर ही इसमें बदलाव किए जाए और इस प्रक्रिया को आसान किया जाए।
वहीं जिला टैक्स बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान संदीप सेठी ने बताया कि रेवोकेशन की समस्या सबसे ज्यादा है और न्यू रजिस्ट्रेशन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कई नई समस्याएं जुड़ गई है एक तो समस्या यह है कि रेवोकेशन के लिए अलग जिलों में भेज दिया जाता है जिससे समय अधिक लगता है और रेवोकेशन जो एक सुविधा के रूप में दी गई थी, लेकिन देखने में आता है कई दिनों तक विभागों के चक्कर लगाते रहने पर भी रेवोकेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाते हैं। हमारी सरकार से मांग है इन सब समस्याओं का जल्द से जल्द निदान करें जिससे व्यापारी वर्ग को व्यापार करने में या अपने टैक्स कंप्लायंस में किसी तरह की कोई दिक्कत ना आए।
एडवोकेट मीनू छोकर ने बताया कि स्टेट जीएसटी काउंसिल में भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें रेवोकेशन एन्यू रजिस्ट्रेशन में समस्याएं बढ़ती जा रही है जो संस्था पहले से जीएसटी का काम तकनीकी रूप से देख रही थी उसके बदले में अच्छी सुविधा के लिए सरकार ने दूसरी संस्थान से काम करवाने का निर्णय किया लेकिन वह भी किसी बिना तैयारी के किया गया जिससे इसमें समस्याओं का अंबार लग गया।
सर्वसम्मति से यह निर्णय हुआ की हमारे साथ जुड़े सारे टैक्स बार एसोसिएशन को भी एक ज्ञापन तैयार करके अधिकारियों व सरकार तक इस बात को पहुंचाएं। एक ऐसी संस्था भी बनानी चाहिए, जिसमें व्यापारी प्रोफेशनल वह सरकार के अधिकारी एक साथ बैठकर के सारी समस्याओं पर विचार कर सकें। यह लड़ाई सामान्य व्यापारियों को सुविधा देने के लिए या उनका व्यापार को आसान बनाने के लिए लड़ रहे हैं।