सबके भले की सोचिए

1745

सबके भले की सोचिए

सबके भले की सोचिए
खुद का भला भी होय
सबको ख़ुशी जो बाँटिए
अपनी सुखी भी हो जाए
परहित के चिंतन से
बढ़ता है प्यार अपार
जो परहित का काम करे
उससे खुश होता संसार
आत्मसन्तुष्टि मिले सदा
बरसता सबका दुलार
परमात्म याद जिसके रहे
होता उसका उद्धार।

-श्रीगोपाल नारसन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here