हिमाचल प्रदेश में कोविड वैक्सीन की वेस्टेज शून्य प्रतिशत

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शिमला, 10 मई। कठिन भौगोलिक परिस्थियों वाला पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश टीकाकरण में देशभर में अग्रणी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सेवाओं (एनएफएचएस-5) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में देश के सभी राज्यों में पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज सबसे ज्यादा है। कोरोना महामारी के दौरान भी प्रदेश ने कोविड टीकाकरण के साथ-साथ अपनी अन्य टीकाकरण गतिविधियों को भी जारी रखा है जो स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामूहिक प्रयासों से संभव हुआ है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि प्रदेश में वैक्सीन की वेस्टेज माइनस 1.4 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि राज्य को अब तक कोरोना वैक्सीन की कुल 21,19,710 खुराकें मिली हैं जिनमें से 7 मई तक 19,86,812 खुराकें लगाई जा चुकी हैं, जिसके लिए कुल 19,58,980 खुराकों का इस्तेमाल किया गया है। वर्तमान में प्रदेश के पास कोल्ड चेन में 1,60,730 खुराकें उपलब्ध हैं।

उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि वैक्सीन की शीशियांें में वैक्सीन की खुराक निर्धारित मात्रा से अधिक उपलब्ध होती है और प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि जितनी भी खुराकें उपलब्ध है, उसका पूरी तरह से उपयोग किया जा सके।

मिशन निदेशक ने कहा कि वैक्सीन की वेस्टेज किसी भी टीकाकरण कार्यक्रम के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। वैक्सीन की अधिकतर वेस्टेज तीन स्तरों पर होती है, जिसमें वैक्सीन का परिवहन, भंडारण और टीकाकरण केंद्र शामिल है। जिसमें सबसे ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

हिमाचल प्रदेश में कोरोना टीकाकरण अभियान इस साल 16 जनवरी से शुरू किया गया था। इस टीकाकरण अभियान को प्रदेश में शुरू करने से पहले टीके के भंडारण, परिवहन व इससे संबंधित अन्य सभी आवश्यक प्रबंधों को निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है, विशेष रूप से इसके लिए निर्धारित तापमान और वैक्सीन स्टॉक की निगरानी पर विशेष ध्यान दिया गया है। कोल्ड चेन केंद्रों में नए उपकरण स्थापित कर और पहले से मौजूद उपकरणों की सर्विर्सिज करके कोल्ड चेन प्रणाली को सुदृढ़ किया गया है। वैक्सीन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की हर जिले में वैक्सीन वैन की बेहतर व्यवस्था की गई है। भारत सरकार की ओर से वैक्सीन उपलब्धता के अनुसार राज्य में सुचारू रूप से परिवहन व्यवस्था को बनाए रखा है और निर्धारित मापदंडों के अनुसार शीघ्र ही वैक्सीन के वितरण का कार्य किया जाता है। सरकार की ओर से वैक्सीन के भंडारण के लिए परिमहल शिमला में बनाए गए भंडारण केंद्र से लेकर कांगड़ा व मंडी में बनाए गए कोल्ड चेन केंद्रों तक वैक्सीन की सुचारू आपूर्ति के लिए परिवहन चेन बनाई गई है और वैक्सीन के रख-रखाव के लिए इस कार्य में लगे सभी कर्मियों को पूरी तरह से प्रशिक्षित किया गया है।

टीकाकरण केंद्र के लिए टीकाकरण परिवहन और संचालन के कड़े दिशानिर्देशों का पालन करते हुए टीके का परिवहन वैक्सीन वैन में किया जाता है। टीके को एडी सीरिंज के माध्यम से लगाया जाता हैं। प्रदेश में टीका लगाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की वेस्टेज को ध्यान में रखते हुए टीका लगाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

उन्होंने कहा कि शीशी को एक बार खोलने के बाद एक निश्चित समय सीमा के भीतर उसका उपयोग सुनिश्चित किया जाता है। यदि शीशी की खुराक निर्धारित समय सीमा में नहीं लगाई जाती है तो उसे फैकना पड़ता है। इसका अर्थ यह है कि दवाई का निपुणता से उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त संख्या में लोग टीकाकरण के लिए तैयार हो। दवाई की वेस्टेज कम से कम हो इसके लिए संबंधित क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि कोविड टीकाकरण केंद्रों में टीकाकरण की प्रक्रिया का निरंतर संचालन हो सके। प्रदेश में जहां वैक्सीनेशन के वेस्टेज की संभावना हो सकती है उन सभी संभावित स्तरों पर विभाग योजनाबद्ध तरीके से निगरानी कर रहा है। इसके फलस्वरूप ही प्रदेश सरकार ने इन दवाइयों की खुराक को बचाने में सफलता हासिल की है और शून्य वेस्टेज के लक्ष्य को प्राप्त कर अधिकतम संख्या में लोगों का टीकाकरण करवाया।

केंद्र सरकार द्वारा राज्यों और केंद्रशासित राज्यों को दवाई का वितरण करते समय राज्यों के प्रदर्शन (प्रशासनिक तीव्रता, औसत खपत), संक्रमण दर (एक्टिव मामलों की संख्या) जैसे मापदण्डों को देखा जाता है। दवाई की वेस्टेज भी इनमें से एक मापदण्ड है। उपयुक्त मापदण्डों को देखते हुए प्रदेश केंद्र सरकार से अधिक दवाइयां प्राप्त करने वाले समूह में शामिल है। जिसका श्रेय कोविड टीकाकरण के कार्यों में जुटे सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जाता है।

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