भगवान रघुनाथ की रथयात्रा से कुल्लू दशहरे का आगाज

45

कुल्लू, 13 अक्टूबर। भगवान रघुनाथ की रथयात्रा की यात्रा के साथ आज यहां अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का शुभारंभ हुआ। दशहरा महोत्सव में विशेष रूप से सभी स्थानीय देवी-देवताओं का आगमन जारी है। इस वर्ष महोत्सव की ‘थीम एकता में विविधता‘ रखी गई है, जिससे सभी समुदायों को एक साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है। महोत्सव के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताएं, खेल और मेले का आयोजन भी किया जाएगा। कुल्लू का यह दशहरा महोत्सव देशभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। इस बार कुल्लू दशहरे में अधिक पर्यटकों के आने की उम्मीद है।
इससे पहले हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कुल्लू के रथ मैदान में सप्ताह भर चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का शुभारंभ किया। राज्यपाल ने भगवान श्री रघुनाथ जी की रथयात्रा में भी भाग लिया। इस अवसर पर लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला भी उपस्थित थीं। राज्यपाल ने हजारों श्रद्धालुओं के साथ उत्सव के मुख्य आकर्षण स्थल पर पहुंचकर भगवान श्री रघुनाथ जी की पूजा-अर्चना की। उन्होंने प्रदेशवासियों को दशहरे की शुभकामना दी। इस अवसर पर सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि यह प्रदेशवासियों का सौभाग्य है कि कुल्लू की पवित्र भूमि में भगवान श्री रघुनाथ जी का वास है और यहां से उनका गहरा नाता है। उन्होंने कामना की कि भगवान श्री रघुनाथ जी का प्रदेशवासियों पर आशीर्वाद सदैव बना रहे ताकि हम इसी प्रकार अपनी देव संस्कृति को आगे बढ़ाते रहे। उन्होंने कहा कि यह उत्सव पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और हमें इस दौरान लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने के भी प्रयास करने चाहिए।
इसके उपरांत राज्यपाल ने विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और अन्य गैर सरकारी संगठनों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर लगाए गए स्टॉलों का भी अवलोकन किया और प्रदर्शनियों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता और गर्व की बात है कि मुझे आज कुल्लू की खूबसूरत घाटी में अंतरराष्ट्रीय दशहरा महोत्सव के भव्य अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि अपनी समृद्ध संास्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध यह पर्व बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। सदियों से हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग रहे कुल्लू के इस अनूठे उत्सव नेे न केवल यहां की परंपराओं को संजोकर रखा है बल्कि अपनी भव्यता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान भी बनाई है।
उन्होंने कहा कि यह पवित्र त्योहार जहां एक ओर हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है वहीं रावण पर भगवान श्री राम की जीत, राक्षसों की पराजय और धर्म की पुनः स्थापना का स्मरण भी करवाता है। उन्होंने कहा कि अधर्म कितना भी बलशाली क्यों न हो अंत में जीत सत्य, न्याय और सदाचार की होती है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत के अन्य भागों में जहां केवल एक दिन के लिए यह उत्सव मनाया जाता है वहीं कुल्लू में यह उत्सव सप्ताह भर चलता है और यहां देवभूमि के रीतिरिवाजों, कला और सामुदायिक भावना की शानदार झलक देखने को मिलती है। उत्सव के दौरान देवताओं की शोभा यात्रा, आकर्षक मेले और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी हिमाचल प्रदेश के लोगों के अध्यात्म और सांस्कृतिक विरासत के साथ गहरे संबंध को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है और यहां के वातावरण को स्वच्छ और संसाधनों को संजोकर रखना हम सभी का समान दायित्व है।
राज्यपाल ने कहा कि हमें विश्वास है कि यह त्योहार समाजिक एकता को मजबूत करने, राज्य में समृद्धि लाने और हमें एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि में नशे के लिए कोई भी स्थान नहीं है और इसे जड़ से उखाड़ने के लिए सभी को एक साथ आगे आना चाहिए ताकि राज्य का वातावरण स्वस्थ बना रहे।
इस अवसर पर कुल्लू जिले के विभिन्न क्षेत्रों से 300 से अधिक देवता भाग ले रहे हैं।
इससे पूर्व, भूंतर हवाई अड्डे में आगमन पर राज्यपाल का गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक, उपायुक्त तोरूल एस रवीश और पुलिस अधीक्षक डॉ. कार्तिकेयन गोकुल चन्द्रन भी उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here