संजौली विवादः सील होगी मस्जिद! भाजपा सरकार ने दिया था लाखों का अनुदान

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file photo source: social media

शिमला, 12 सितंबर। हिमाचल प्रदेश की शांत वादियों को धधकाने वाला संजौली मस्जिद विवाद अब थमता नजर आ रहा है। इसके लिए खुद वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद का प्रबंधन सामने आया है। नगर निगम शिमला को लिखे पत्र में दोनों ने इस मस्जिद में बने अवैध निर्माण को सील करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही अनुमति मिलने पर मस्जिद में बनाए गए अवैध निर्माण को खुद ही गिराने को तैयार भी हैं। वहीं, राज्य सरकार के दो मंत्रियों ने भाजपा पर पटलवार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मस्जिद में विवादित ढांचे का निर्माण कोरोना काल में हुआ था और उस समय राज्य में भाजपा की सरकार थी। भाजपा सरकार के दौरान ही संजौली मस्जिद को लाखों का अनुदान भी प्रदान किया गया था।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने संजौली स्थित मस्जिद में बिना अनुमति बनाए गए ढांचे को गिराने को लेकर हिंदू जागरण मंच सहित दक्षिणपंथियों द्वारा किए गए आंदोलन के संबंध में आज यहां पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल में धार्मिक सद्भाव एवं आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए संजौली मस्जिद के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ और वक्फ बोर्ड के सदस्य मौलवी शहजाद सहित मंदिर समिति के अन्य सदस्यों ने नगर निगम शिमला के आयुक्त को पत्र के माध्यम से आयुक्त कार्यालय द्वारा मस्जिद को सीलबंद करने के लिए सहमति जाहिर की है। इसके अलावा पत्र में उन्होंने आयुक्त से आग्रह किया है कि यदि नगर निगम की अनुमति मिले तो वह गैर-कानूनी तरीके से बनाए गए मस्जिद के ढांचे को स्वयं तोड़ने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल एक शांतिप्रिय राज्य है और इस सद्भाव को बिगाड़ते हुए प्रदेश में किसी को भी कानून को अपने हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सदैव ही शांति एवं भाईचारे का प्रतीक रहा है लेकिन संजौली विवाद में कुछ सांप्रदायिक ताकतों ने इस छवि को बिगाड़ने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि यह विवादित ढांचा कोविड महामारी के दौरान खड़ा किया गया था और उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी।
अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि भाजपा सरकार के समय मस्जिद के अधिकारियों को योजना शीर्षक-वीकेवी/2019/774 के तहत 2 लाख रुपये प्रदान किए गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान मस्जिद के लिए लाखों रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार शीघ्र ही रेहड़ी पटरी लगाने के लिए नीति लाएगी। प्रवासियों के प्रदेश आने पर उनकी जांच पड़ताल सही ढंग से हो इसके लिए मुख्यमंत्री एवं विधानसभा के अध्यक्ष मिलकर एक नए संस्थान को बनाने पर विमर्श करेंगे। इसके अलावा किराए पर रह रहे लोगों, दुकानों में काम कर रहे लोगों, प्रवासी दिहाड़ीदार, रेहड़ी-पटरी लगाने वाले और घरों में काम करने वाले प्रवासी लोगों के पहचान पत्रों की पुनः जांच की जाएगी।
अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार आजीविका कमाने के लिए प्रदेश के बाहर से आए रेहड़ी-पटरी वालों के लिए अलग से स्थान चिन्हित करने के लिए भी विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर सभी को किसी भी प्रदेश में जाकर काम करने की आजादी है।
अनिरुद्ध सिंह और विक्रमादित्य सिंह ने मोहम्मद लतीफ, मौलवी शहजाद और वक्फ बोर्ड के सदस्य द्वारा विवादित ढांचे को स्वयं तोड़ने की पहल करने की सराहना करते हुए कहा कि इस निर्णय से समाज में आपसी भाईचारे की भावना को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस कदम से शांति स्थापित करने और आपसी भाईचारे की दिशा में एक अद्भुत मिसाल कायम की गई है।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि कोविड के समय बिना अनुमति के यह ढांचा कैसे बनाया गया इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि तत्कालीन नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भूमिका को कई सवाल खड़े होते हैं जिसकी आने वाले समय में जांच की जाएगी। उन्होंने स्थानीय लोगों से आग्रह किया कि जब तक आयुक्त न्यायालय अंतिम निर्णय नहीं ले लेता तब तक सभी संयम बना कर रखें और कानून को अपने हाथों में लेने से बचें।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान हिमाचल प्रदेश धर्मांतरण कानून को लागू करने वाला पहला राज्य बना था। प्रदेश सरकार लोगों की भावनाओं की कद्र करती है और यह भी अपेक्षा करती है कि राज्य के शांत वातावरण को किसी के बहकावे में आकर नहीं बिगड़ने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह विवाद मस्जिद के कानूनी और गैर कानूनी ढांचे को लेकर शुरू हुआ था लेकिन भाजपा नेताओं ने बीच में आकर इस पूरे विवाद को धार्मिक रूप दे दिया। उन्होंने कहा कि संजौली में आंदोलन के दौरान कुछ लोगों ने पुलिस पर पत्थरों से हमला किया जिसके पश्चात् पुलिस को भीड़ नियंत्रित करने के लिए बल का प्रयोग करना पड़ा। इस बीच आंदोलनकारी एवं पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई जो कि खेदजनक है और हिमाचल की संस्कृति का हिस्सा नहीं है।

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