- पीजीआई लखनऊ में होना है बोन मेरो ट्रांसप्लांट
- डीजीपी अशोक कुमार का सराहनीय कदम, तुरंत जारी किए 12 लाख
ढाई साल की अक्षिता राणा कई दिनों से बीमार थी। वह अक्सर सोई रहती थी। अक्षिता के पिता बलवंत राणा बागेश्वर में फायरमैन हैं। कई डाक्टरों को दिखाया। बाद में पता चला कि अक्षिता को बोन-मैरो की दिक्कत है। बलवंत की पत्नी अक्षिता को लेकर पीजीआई लखनऊ पहुंची तो पता चला कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट में भारी भरकम राशि खर्च हो रही है। इसका बजट लगभग 12 लाख रुपये था। बलवंत को डर सता रहा था कि कैसे यह रकम जुटाई जाएगी। बलवंत के एक बच्चे का पहले ही निधन हो चुका है।
बलवंत ने फोन पर बताया कि उसने बागेश्वर पुलिस की सहायता से उसने तुरंत जीवन रक्षा निधि के तहत आवेदन किया। उन्होंने कहा कि डीजीपी साहब ने तुरंत 12 लाख रुपये का मंजूर कर दिए। बलवंत अभी बागेश्वर में है। अक्षिता के साथ उसकी मां और नाना-नानी है। उनके मुताबिक अब खर्च का इंतजाम हो गया और मैचिंग बोन मेरो मिलने पर आपरेशन संभव हो सकेगा।
उत्तराखंड के प्रख्यात न्यूरो सर्जन डा. महेश कुड़ियाल के अनुसार बोन मेरो रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है। यदि बोन मेरो ऐसा नहीं करता तो वह फिर बोन मेरो ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसके तहत रक्त कणिकाएं दूसरे शरीर से ली जाती हैं और खराब सेल की जगह प्रतिस्थापित कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि यह आपरेशन जटिल नहीं है लेकिन इसमें इंफेक्शन का खतरा बना रहता है।
अक्षिता राणा पिछले दो दिन से उपचाराधीन है। डाक्टरों की एक टीम उसे देख रही है। अक्षिता के जल्द स्वस्थ होने की कामना।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]