उत्तराखंड के इतिहास में यह भी तो पढ़ाना चाहिए कि टिहरी का राजा अंग्रेजों का गुलाम था। जनता पर घोर अत्याचार करता था। भारत 1947 में आजाद हो गया था लेकिन टिहरी के राजा ने भारत से अलग अपनी अंतरिम सरकार बना ली थी। सरदार पटेल के डर से 1948 में टिहरी नरेश ने हथियार डाले। अंग्रेजों के पिट्ठू और श्रीदेव सुमन के हत्यारे राजा के वंशजों को भाजपा संसद में भेजने का काम कर रही है। बार-बार टिहरी राजवंश के नुमाइंदे को देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में पहुंचाया जाता है। मुगल हटा दो, तो कम से कम देशद्रोही हिन्दू राजाओं का इतिहास तो पढ़ाओ। क्या श्रीदेव सुमन की हत्या कर भीलंगना में फेंकने वाले टिहरी का राजा देशभक्त था? यदि नहीं तो उसके वंश को भाजपा क्या राष्ट्रवादी मानती है?
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]