…और देखते ही देखते देशभक्त हो गये दुकानदार

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  • पलटन बाजार में अब नहीं होगी जीएसटी की चोरी
  • व्यापारी न ही ग्राहकों को लूटेंगे, न चाइनीज माल बेचेंगे

कल यूं ही पलटन बाजार गया तो दिल बहुत खुश हो गया। लगभग सभी दुकानों के बोर्ड का रंग भगवा था। आजकल भगवा रंग हिन्दू होने और राष्ट्रवादी होने की गारंटी है। पलटन बाजार में अधिकांश चोर और लुटेरे दुकानदार हैं। यानी जीएसटी से लेकर चाइनीज माल की चोरी करते हैं और किसी भी ग्राहक को पहली नजर में ही लूटने का इरादा रखते हैं। यदि किसी दुकान में जाओ और वस्तु देखकर लौटने लगो तो वहां के कर्मचारी सांकेतिक भाषा में ग्राहक को गालियां देते हैं। कुछ दुकानदारों ने भगवा बोर्ड नहीं लगवाए हैं। या तो अब बनवा रहे होंगे या कांग्रेसी हो सकते हैं।
पलटन के अधिकांश चोर और लुटेरे दुकानदारों के कुछ निजी अनुभव शेयर करना चाहता हूं। कुछ साल पहले की बात है। एक जूते के शोरूम से अपनी बेटी के लिए तीन जोड़ी सेंडिल लिये। इनमें से एक जोड़ी चाइनीज सैंडिल थी। कोहली नाम के उस दुकानदार ने उस सैंडिल के 500 रुपये लिए। घर जाकर मैंने उस डिब्बे पर रेट टैग देखा तो उस पर 175 लिखा था। दूसरे दिन सुबह मैं 11 बजे दुकान पर पहुंचा और अपने पैसे वापस मांगे। अगला कहने लगा कि 2 बजे बाद आना। अभी दुकान खोली है। मैं बोला, चोर के लिए समय की क्या जरूरत। भाई मुझसे लड़ने लगा। मैं तो हूं ही योद्धा। खूब शोर मचाया। आसपास के दुकानदार और लोगों की भीड़ एकत्रित हो गयी। कहने लगा कि 50 साल से दुकान है। मैंने कहा कि यह ईमानदार होने की गारंटी नहीं है। मेरे अडियल रवैये और पुलिस में जाने की धमकी से वह हार गया और उसने मेरे पैसे लौटा दिये। कुछ समय बाद कोतवाली के पास सुनार मार्केट से एक अंगूठी खरीदी। तब हॉलमार्क को लेकर जागरूक नहीं था। बिल के नाम पर कागज पर लिखा। छाप के पैसे भी लिए। बाद में अंगूठी टूट गयी तो दूसरे सुनार के पास गये तो सोने में खोट मिली।
एक दुकानदार से देहरादूनी बासमती लिए तो भाई ने परमल या सेला चिपका दिया। पलटन बाजार में ही साड़ी के एक नामी शोरूम से रक्षाबंधन के दिन साड़ियां ली तो एक साड़ी में कट मिला। वापस करवाने में पसीने छूट गये। और तो और एक नामी मिठाई के दुकानदार ने तो अपनी बायोग्राफी यानी जीवनी मुझसे लिखवा ली। एक साल हो गये। चवन्नी नहीं दी। उस मिठाईवाले की खबर अलग से लूंगा।
पलटन बाजार के अधिकांश दुकानों में जीएसटी बिल नहीं दिया जाता। यानी टैक्स चोरी होती है। यहां पूरे देहरादून में सबसे अधिक चाइनीज माल बेचा और खरीदा जाता है। जीएसटी को लेकर देहरादून के यही देशभक्त व्यापारी सरकार का विरोध कर रहे हैं। खैर, यदि भगवा रंग से इन दुकानदारों का हृदय परिवर्तन होता है और ये ईमानदारी से व्यापार करेंगे तो राज्य को अच्छा-खासा जीएसटी मिलेगा। प्रदेश की तरक्की होगी।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

काश, हर चाउमिन या पान बेचने वाले की किस्मत गामा जैसे होती!

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