काश, हर चाउमिन या पान बेचने वाले की किस्मत गामा जैसे होती!

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  • गामा ने बहुत मेहनत की, ठेकेदारी की, ठेकेदारी छोड़ी तब भी कमा लिया
  • चूंकि भाजपा विकास कर रही है और विपक्ष हताश है तो गामा की संपत्ति को लेकर सवाल उठा रहे हैं!

ये बातें महज पांच साल में थोड़ी सी संपत्ति जुटाने वाले मेयर सुनील उनियाल गामा आज मीडिया से कह रहे हैं। संपत्ति संबंधी मामले में उन्होंने बिल्कुल भी झूठ नहीं कहा। मेयर गामा राजनीति के भ्रष्टाचार के काली गंगा की सबसे छोटी टुन्नी मछली हैं। पता नहीं मीडिया इस छोटी सी मछली के पीछे क्यों पड़ गया? भई कमा लिया तो क्या बुरा किया? ये भी तो देखो कि उन्होंने पान की ठेली लगाई, चाउमिन का खोखा चलाया। छोटी-मोटी ठेकेदारी की। हां, देहरादून की जमीन बिल्कुल नहीं कब्जाई। न कब्जाने देंगे। हालांकि सच ये भी है कि नगर निगम की 540 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा है।
दूसरी बात, यह भी देखो कि मेयर गामा का राजनीतिक भविष्य क्या है? गणेश जोशी क्या मसूरी विधानसभा से गामा को विधायक बनने देंगे? नहीं। काऊ का तो और भी बड़ा ना। विनोद चमोली, उससे भी बड़ा ना। कैंट से पंजाबी ही जीतेगा। राजपुर सुरक्षित सीट है। डोईवाला में तो जीरो उम्मीद है। मेयर ने जब 11 प्रापर्टी देहरादून में खरीदी हैं तो चुनाव लड़ने के लिए किच्छा, चंपावत या चौबट्टाखाल जाने से रहे। कुल मिलाकर मेयर गामा की राजनीति के आगे के रास्ते में कई मगरमच्छ हैं जो इस टुन्नी मछली को खा जाएंगे।
इसलिए यदि भविष्य में गामा दोबारा मेयर नहीं बनते हैं तो कहीं उन्हें दोबारा चाउमिन की ठेली न लगानी पड़े इसलिए उन्होंने कुछ संपत्ति जुटा ली तो लोगों के पेट में दर्द हो रहा है। हद है। विपक्ष तो इसलिए हताश है कि सत्ता पक्ष वाले इतना खा रहे हैं और उन्होंने बुरे समय के लिए कुछ बचाया नहीं। कांग्रेस को लगता था कि सत्ता तो हाथ का मैल है।
अब स्थिति यह है कि निकट भविष्य में कांग्रेस समेत विपक्ष के नेताओं की चाउमिन की ठेली और पान की दुकान शहर में नजर आ सकती है। भाई कांग्रेसियों, तुम मेयर साब का इतना विरोध न करो। निगम ही तुम्हारी ठेलियों को लाइसेंस देगा। मेयर को सलाम ठोको।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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