- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लोग आहत और दुखी
- फैसले में केस के कई सवालों के जवाब नहीं मिले
किरन नेगी गैंग रेप और हत्याकांड मामले में अब रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाएगी। कानूनी जानकारों की माने तो इस पिटिशन से बहुत उम्मीद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद समाज में बहस है कि क्या ऐसे नरपिशाचों को समाज में खुले छोड़ना सही है? यदि ये हत्यारे नहीं थे तो कौन था? पुलिस, लोकल कोर्ट और हाईकोर्ट की सुनवाई पर भी तरह-तरह की बातें हो रही हैं। अधिकांश लोग इस बात पर हैरान हैं कि यह जघन्य हत्याकांड है, इसमें यदि साक्ष्य कम थे या निचली अदालतों ने कुछ मुद्दों पर गौर नहीं किया तो बेंच इस केस को रिट्रायल के आदेश दे सकती थी।
पहाड़ की बेटी किरन नेगी को सुप्रीम कोर्ट से भी इंसाफ नहीं मिला। सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में तीनों आरोपियों को रिहा कर दिया। महज 10 सेकेंड में बेंच ने यह इंसाफ सुनाया। केस का फैसला अप्रैल में रिजर्व था और डिलवर नवम्बर में हुआ। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच का फैसला आने के बाद उत्तराखंड समेत देश के प्रबुद्ध समाज में दुख और क्षोभ है। लोगों का मानना है कि यदि दोषी ऐसे छूट जाएंगे तो अपराधियों के हौसले तो बुलंद होंगे ही।
कानूनी जानकारों के मुताबिक 165 इविडेंस एक्ट में 10 गवाहों को क्रास एग्जामिन नहीं किया गया। कहा गया कि ट्रायल कोर्ट के जज मूकदर्शक बने रहे। सवाल यह है कि बचाव पक्ष का वकील भी था, उसने क्यों नहीं एग्जामिन किया? यह भी सवाल उठ रहे हैं कि फैसले में जज की लापरवाही तो बतायी है लेकिन उसके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई का जिक्र नहीं है और न ही पुलिस के खिलाफ। यह भी सवाल है कि लाल इंडिगो कार मुलजिम से मिली। कार मालिक ने बताया कि कार मुलजिम के पास ही थी। निशानदेही पर बरामद हुई। कार में स्पर्म मिला, डीएनए मिला। लेकिन डीएनए को साक्ष्य नहीं माना गया। यदि घटना में प्रयुक्त यह कार नहीं थी तो स्पर्म कैसे मिला?
कानूनी जानकारों का कहना है कि बेशक केस में कमजोरियां थीं, लेकिन इस जघन्य हत्याकांड को लेकर मुलजिमों की मंशा का तो पता चलता है। अब सवाल यह है कि यदि तीनों दोषी नहीं हैं तो किरन का अपहरण, गैंगरेप और नृ:शंसता के साथ हत्या किसने की?
गौरतलब है कि 9 फरवरी 2012 को दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में 19 साल की किरन नेगी का आफिस से घर लौटते समय अपहरण कर लिया गया। इसके बाद उसकी गैंगरेप के बाद हैवानित के साथ हत्या कर दी गयी थी।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]
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