कुंजवाल और अग्रवाल पर दर्ज हो राजद्रोह का मामला

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  • बड़ा सवाल, सचिवालय में क्या पैसे लेकर की गयी भर्ती?
  • स्पीकर की शपथ का भी किया उल्लंघन, रद हो सदस्यता और पेंशन

जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो बेचारी फसल कहां जाएं? यह कहावत पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल पर सटीक बैठ रही है। विधानसभा सचिवालय में भर्ती मामले में तीन सदस्यीय जांच समिति ने पाया है कि भर्ती में अनियमितताएं हुई हैं। इस आधार पर मौजूदा स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने दोनों पूर्व स्पीकर के समय की गयी तदर्थ भर्तियों को रद् कर दिया है।
साफ है कि भर्ती प्रक्रिया में झोल था। ऐसे में कहा जा सकता है कि दोनों पूर्व स्पीकर पद के दुरुपयोग के दोषी हैं। दोनों ने इस पद की गरिमा को क्षति पहुंचाई है। ऐसे में दोनों ही राजद्रोही हैं क्योकि दोनों ने जनता के साथ गद्दारी की है। दोनों की पेंशन और सदस्यता रद् कर देनी चाहिए। यह भी जांच होनी चाहिए कि क्या भर्ती के लिए पैसे लिए गये? हालांकि यह बड़ा सवाल है कि जांच करेगा कौन? कांग्रेस और भाजपा इस मामले में बराबर के साझीदार हैं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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