सरकार अपनी पीठ थपथपाती रह गयी, कांवड़िये गंगा को मैला कर गये

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  • पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘शौच, शौचालय में‘ की उड़ी धज्जियां, डीएम के खिलाफ हो कार्रवाई
  • कांवड़ियों ने की सैनिक कांवड़िये की हत्या, ऐसी कांवड़ यात्रा का क्या लाभ?

धर्म बड़ा संवेदनशील विषय है। इस बार मैंने तय किया था कि मुफ्त में गालियां खाने से क्या लाभ? कांवड़ पर कुछ नहीं लिखूंगा। बल्कि भक्ति भाव से एक कांवड़ शिविर में भी गया। लेकिन मेरा सवाल वही है कि क्या उत्तराखंड देश भर के हिन्दुओं की गंदगी का डंपिंग जोन है? हमारी सरकार को इससे क्या मिलता है? हिन्दू वोट बैंक की खातिर प्रदेश के पर्यावरण और पारिस्थितिकीय तंत्र के साथ खिलवाड़ होता है। जो लोग श्रद्धा भाव से उत्तराखंड आते हैं, उनका दिल से स्वागत है। लेकिन जो यहां धर्म का चोला पहनकर आते हैं और यहां मौज-मस्ती के साथ ही गंदगी का ढेर छोड़ जाते हैं तो उनकी मैं कड़ी निंदा करता हूं।
चारधाम यात्रा में भी लाखों लोग आये। केदारनाथ और बदरीनाथ धाम को सेल्फी स्पॉट समझ लिया और वहां छोड़ दिया गंदगी का अंबार। अब कांवड़ यात्रा को लो। सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है कि तीन करोड़ 80 लाख कांवड़िये आए। ठीक है, लेकिन देकर क्या गये? गंदगी और गंगा को और प्रदूषित कर गये। जिस गंगा जल को लेने आए, उसमें ही मल विसर्जित कर गये। करोड़ों कांवड़िए हजारों टन गंदगी छोड़ गए हैं। गंगा घाटों के साथ ही तमाम क्षेत्रों में जगह-जगह कूड़े और प्लास्टिक की पन्नी के ढेर लगे हैं। संक्रामक बीमारियों के फैलने का भी खतरा पैदा हो गया है। कांवड़ियों के सैलाब की तुलना में शौचालय जैसी सुविधा नहीं थी। जिससे कांवड़िए रोड़ीबेलवाला, उत्तरी हरिद्वार, पंतद्वीप पार्किंग और बैरागी कैंप समेत गंगा किनारे गंदगी कर रहे थे। यहां तक कि गंगा घाट भी कूड़े से भरे हैं।
मैं पिछले कई साल से मांग कर रहा हूं कि सरकार चारधाम यात्रा और कांवड़ यात्रियों पर सेस वसूले। इस पैसे से एक तो राज्य को कुछ आय हासिल होगी और दूसरे जो गंदगी ये पर्यटक या धार्मिक लोग छोड़ देते हैं, कम से कम उस गंदगी को साफ करने पर होने वाले खर्च से तो बचा जा सकेगा। इस बीच, मंगलौर में हरियाणा के कांवड़ियों ने मुजफ्फरनगर के एक कांवड़िये की लाठी मारकर हत्या कर दी। 6 कांवड़ियों को गिरफ्तार किया गया है। जिस कांवड़िये की हत्या हुई वह सेना में था। बताओ, ऐसी धर्म यात्रा किस काम की, जिसमें मानवता ही नहीं हो। सरकार भले ही दावे करती रहे कि करोड़ों आए, लेकिन यह प्रशासन का फेल्योर है कि वह पूर्वानुमान के बावजूद कांवड़ियों के लिए शौचालय की भी व्यवस्था नहीं कर सकी जो मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस अव्यवस्था के लिए हरिद्वार के डीएम के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
फोटो- साभार अमर उजाला
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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