अब संसद में सब मर्यादित होगा, अनपढ़ सांसद भी पीएचडी धारक कहलाएंगे। विश्व की सबसे सभ्य संसद होगी हमारी। और मैं और मेरे जैसे लोग कहलाएंगे भारत के सबसे असभ्य व्यक्ति। भाषा विशेषज्ञ विशेषकर मेरे गुरु प्रख्यात स्तंभकार सुधीश पचौरी जी से अनुरोध, कुछ नए शब्द ईजाद करें। मसलन तड़ीपार की बजाए विजय माल्या, जयचंद मतलब सरकार गिराने वाले, तानाशाह मतलब साहेबजी, शकुनि मतलब मोटा भाई आदि-आदि। भाषाई संकट आ गया और हम प्राचीन काल में चले गये। जहां पालि और प्राकृत की समस्या थी।
आम बोलचाल के ये शब्द हैं अमर्यादित
तानाशाह, जुमलाजीवी, जयचंद, अंट-शंट, करप्ट, नौटंकी, ढिंढोरा पीटना, निकम्मा, शकुनि, विनाश पुरुष, ख़ालिस्तानी और ख़ून से खेती, बाल बुद्धि, बहरी सरकार, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, उचक्के, अहंकार, कांव-कांव करना, काला दिन, गुंडागर्दी, गुलछर्रा, गुल खिलाना, गुंडों की सरकार, दोहरा चरित्र, चोर-चोर मौसेरे भाई, चौकड़ी, तड़ीपार, तलवे चाटना, तानाशाह, दादागिरी, दंगा, दोहरा चरित्र। अनपढ़, अनर्गल, अनार्किस्ट, उचक्के, ठग, ठगना, ढिंढोरा पीटना, धोखाधड़ी, नाटक।
अंग्रेजी के अमर्यादित शब्द अब्यूज़्ड, ब्रिट्रेड, करप्ट, ड्रामा, हिपोक्रेसी और इनकॉम्पिटेंट, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]
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