शिमला, 1 जुलाई। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज रिज मैदान एवं ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में आयोजित शिमला पुस्तक मेले का अवलोकन किया। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) द्वारा हिमाचल प्रदेश के भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से शिमला में नौ दिवसीय शिमला पुस्तक मेला 25 जून से 3 जुलाई तक आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर गेयटी थिएटर में शिमला शहर के विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों के साथ संवाद कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने कहा कि किताबें आपके ज्ञान को बढ़ाती हैं और हमारी सच्ची मित्र, मार्गदर्शक और दार्शनिक के समान होती हैं। उन्होंने कहा कि लेखक के विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि वह अपने जीवन के अनुभवों को किताब के माध्यम से व्यक्त करते हैं। इसलिए किताबें हमारी सच्ची मित्र हैं। उन्होंने कहा कि किताबें न केवल हमें सिखाती हैं, बल्कि किताबें पढ़ने का शौक रखने वालों को कभी अकेलापन महसूस नहीं होता।
उन्होंने अपने निजी अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें अपने छात्र जीवन से ही किताबें पढ़ने का शौक था और किताबें पढ़ने का शौक उन्हें अपने पिता से मिला। उन्होंने स्कूल और कॉलेज स्तर पर किताबें पढ़कर ज्ञान में वृद्धि की।
राज्यपाल ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अलावा अन्य पुस्तकों को पढ़ने में रुचि कम हो रही है। उन्होंने कहा कि पढ़ने की आदत डालने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि युवाओं में यह आदत डालने के लिए उन्होंने इस दिशा में पहल की है। वह स्कूलों का दौरा करते है और छात्रों के साथ कक्षा में बैठते हैं, उनके साथ संवाद करते हैं। उन्होंने कहा कि वह विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि पढ़ोगे तो बढ़ेंगे।
छात्रों द्वारा पूछे गए एक प्रश्न में राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने अभी तक कोई पुस्तक नहीं लिखी है लेकिन अब वह आत्मकथा लिखने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह किताबें पढ़ने के लिए समय निकालते हैं। उन्होंने कहा कि वह उपन्यासों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रयास करेंगे।
इससे पूर्व भाषा, कला एवं संस्कृति निदेशक डॉ. पंकज ललित ने राज्यपाल का स्वागत किया।
इस अवसर पर एनबीटी के संपादक, डॉ. ललित किशोर मंडोरा और शिमला के अन्य लेखक भी उपस्थित थे।
इसके उपरांत राज्यपाल ने विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन किया और अपनी रुचि की कुछ पुस्तकें भी खरीदीं। इस पुस्तक मेले में करीब 43 प्रकाशकों के 63 स्टॉल लगाए गए हैं।