कुरुक्षेत्र, 24 मई। कोरोना काल में जहां अधिकारी, कर्मचारी कोविड की ड्यूटियों को पूरा कर रहे है, वहीं कृषि विभाग के एक कर्मचारी मामचंद मलिक ने अपनी विभागीय ड्यूटी के साथ-साथ लॉकडाउन का खूब फायदा उठाया और लोगों को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरुक करने के लिए 165 कविताएं लिख डाली। इनमें से 100 कविताएं कोरोना की पहली लहर में लिखी गई और 65 कविताएं कोरोना की दूसरी लहर में लिखी गई है तथा यह कार्य अभी भी निरंतर चल रहा है।
लेखक मामचंद मलिक ने बताया कि सामाजिक मुद्दों, जातपात, छुआछूत, नशा और अन्य विषयों को लेकर पिछले कई सालों से कविताएं लिख रहे है और उनकी 6 पुस्तके भी रिलीज को चुकी है। पिछले वर्ष जैसे ही कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया और इस वायरस से समाज पर पड़े प्रभाव को देखा तो उनकी लेखनी ने कोरोना चालीसा कविता को लिख डाला। इस कोरोना की पहली लहर में 100 कविताएं लिखी और अब दूसरी लहर में 65 कविताएं लिख चुके है। इससे लॉकडाउन में समय का सदुपयोग हो रहा है और अपनी कविताओं के माध्यम से आमजन में कोरोना संक्रमण से बचाव के प्रति जागरुकता लाने का प्रयास कर रहे हैं।
20 दिन के संघर्ष में बुलंद हौंसलों से 80 वर्षीय शांति अरोड़ा ने जीती कोरोना की जंग
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण ने पूरे विश्व में अपना आतंक मचाया है, जिससे सभी देशों की अर्थव्यवस्था भी डगमगा गई है। इस संक्रमण से हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, लेकिन इस कठिन दौर में कोरोना संक्रमण ने दुनिया को यह भी बताने का प्रयास किया है कि वायरस जात-पात, ऊंच-नीच और अमीर-गरीब को नहीं देखता है, उसने हर व्यक्ति को एक तराजू में तोला। इस संक्रमण से पूरी दुनिया को एक शिक्षा भी मिली कि इस दुनिया में सब एक समान है, सभी मानस की जात है, इसलिए भेदभाव, जात-पात को भूलकर इंसानियत से प्यार करो। उन्होंने अपनी कविताओं में इन विषयों को भी उजागर करने का प्रयास किया है तथा लोगों को जागरूक किया है कि संक्रमण से बचने के लिए कोविड-19 की गाइडलाइंस की पालना करे तभी स्वयं और देश को सुरक्षित रखा जा सकता है।