आखिर उस ड्राइंग रूम में हुआ क्या था?

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  • पति के पद के घमंड में चूर पत्नी भूल गयी मर्यादा
  • सरकारी अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार और प्रताड़ना का केस हो दर्ज

स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे का आवास। ड्राइंग रूम में तीन महिलाएं, यानी डा. निधि उनियाल, एक फार्मा और एक सहायिका बैठी हैं। वह यहां पंकज पांडे की पत्नी की जांच के लिए पहुंचे हैं। ड्राइंग रूम में पंकज पांडे की पत्नी आती है और घूरती हुई पूछती है कि डाक्टर कौन है। न कोई दुआ न सलाम। घर आए मेहमान से इस तरह की बात करने की तमीज पंकज पांडे ने अपनी पत्नी को नहीं सिखायी और न ही उस महिला को विरासत में यह गुण मिले। अपने पति के साथ ही अपने माता-पिता का नाम भी डुबा दिया।
खैर, डाक्टर निधि ने कहा कि वो हैं। बीमारी के बारे में पूछा। संभवतः दर्द था। डाक्टर निधि ने उन्हें लेटने के लिए कहा, तो वह सोफे पर लेटना चाहती थी जो कि बहुत नीचे था। सीधी सी बात यह कि डाक्टर जमीन पर बैठकर मरीज की जांच करे। इस बीच बीपी जांच के लिए कहा तो पता चला कि बीपी नापने की मशीन कार में छूट गयी। उसे लाने के लिए कहा तो यह सुनते ही पंकज पांडे की पत्नी चिल्लाने लगी। क्या कर रही हैं आप? आप यहां आई किसलिए? नाम बताइये आप अपना? बहुत ही असभ्य भाषा थी। डा. निधि ने उन्हें कहा कि वह यह सब नहीं टोलरेट करेंगी। इसके बाद पंकज पांडे की पत्नी ने फोन कर अपने पति की शिकायत की।
अपमानित डा. निधि वापस दून अस्पताल की ओपीडी में लौट आई। यह प्रकरण उत्तरा पंत बहुगुणा का सा है। मैं यह बता देना चाहता हूं कि एक डाक्टर बनने में दस साल का समय लगता है। यदि आईएएस बनना कठिन है तो डाक्टर बनना भी कतई आसान नहीं है। आईएएस की पत्नी कोई भी बन सकती है अनपढ़ भी, लेकिन डाक्टर बनने के लिए लंबा वक्त लगता है। सवाल आईएएस की पत्नी या डाक्टर का नहीं है। सवाल तमीज का है। प्रोटोकाल न होते हुए भी यदि डा. निधि पंकज पांडे की पत्नी की जांच के लिए गयी तो पंकज पांडे की पत्नी को उनका सम्मान करना था। वो उनकी निजी डाक्टर नहीं थी। बताया जाता हे कि पंकज पांडे की पत्नी अक्सर अपने घर काम करने आए सरकारी कर्मचारियों के साथ इसी तरह से बदतमीजी करती है।
पंकज पांडे को ऐसी पत्नी के लिए शर्म महसूस होनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने पद का गलत इस्तेमाल किया। पंकज की पत्नी के खिलाफ एक सरकारी अधिकारी से बदतमीजी और मानसिक उत्पीड़न का केस दर्ज होना चाहिए।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

काश, स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे ऐसी फुर्ती कोरोना काल में दिखाते!

 

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