नहीं रहे ‘डिस्को किंग’

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file photo source: social media

मुंबई, 16 फरवरी। भारत में 80 और 90 के दशक में सिनेमा में डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाने वाले गायक-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी का स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतों के कारण निधन हो गया। उनका इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बुधवार को यह जानकारी दी। लाहिड़ी ने जुहू के क्रिटिकेयर हॉस्पिटल में मंगलवार की रात को अंतिम श्वांस ली। वह 69 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार बृहस्पतिवार को किया जाएगा क्योंकि परिवार उनके बेटे एवं संगीतकार बप्पा लाहिड़ी के अमेरिका के लॉस एंजिलिस से लौटने का इंतजार कर रहा है। लाहिड़ी के परिवार में उनकी पत्नी चित्राणी, पुत्री रीमा और पुत्र बप्पा लाहिड़ी हैं।
अस्पताल के निदेशक डॉ. दीपक नमजोशी ने एजेंसी को आज बताया, ‘‘लाहिड़ी करीब एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी, लेकिन उनकी सेहत मंगलवार को बिगड़ गई और उनके परिवार ने एक डॉक्टर को घर बुलाया। उन्हें अस्पताल लाया गया। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतें थी। उनकी देर रात ओएसए (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया) के कारण मौत हो गई।’’
गायक ने पिछले साल सितंबर में उन खबरों को खारिज कर दिया था कि उन्होंने अपनी आवाज खो दी है। उन्होंने ऐसी अफवाहों को दिल तोड़ने वाली बताया था।
सोने की मोटी जंजीरें और चश्मा पहनने के लिए पहचाने जाने वाले गायक-संगीतकार ने 70-80 के दशक में कई फिल्मों के लिए संगीत रचना की जिन्हें खासी लोकप्रियता मिली। इन फिल्मों में ‘‘चलते-चलते’’, ‘‘डिस्को डांसर’’ और ‘‘शराबी’’ शामिल हैं।
लाहिड़ी के दामाद गोविंद बंसल ने एजेंसी से कहा, ‘‘अंतिम संस्कार जुहू के पवन हंस शवदाहगृह में किया जाएगा।’’
लाहिड़ी के परिवार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है ‘‘यह हमारे लिए अत्यंत दुःखद समय है। हमारे प्रिय बप्पी दा बीती रात हमें छोड़ गए। हम उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा।’’
लाहिड़ी ने आखिरी बार सितंबर 2021 में ‘‘गणपति बप्पा मोरिया’’ में काम किया था। उन्होंने अमेरिका स्थित भारतीय गायक अनुराधा जुजु पलाकुर्ती की आवाज वाले भक्ति गीतों के लिए भी संगीत दिया।
लाहिड़ी को 1970 से लेकर 1990 के दौरान भारतीय सिनेमा में ‘‘आय एम ए डिस्को डांसर’’, ‘‘जिम्मी जिम्मी’’, ‘‘पग घुंघरू’’, ‘‘इंतेहा हो गयी’’, ‘‘तम्मा तम्मा लोगे’’, ‘‘यार बिना चैन कहां रे’’, ‘‘आज रपट जाए तो’’ तथा ‘‘चलते चलते’’ जैसे गीतों से डिस्को संगीत का दौर शुरू करने का श्रेय दिया जाता है।
उन्होंने 2000 के दशक में ‘‘टैक्सी नंबर 9211’’ (2006) का ‘‘बम्बई नगरिया’’ और ‘‘द डर्टी पिक्चर’’ (2011) के ‘‘उह ला ला’’ जैसे हिट गीतों को भी अपनी आवाज दी। वह उन गायकों में से एक हैं जिन्होंने 2014 में आयी फिल्म ‘‘गुंडे’’ का ‘‘तूने मारी एंट्रियां’’ गीत भी गाया था। उन्होंने बंगाली, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और गुजराती फिल्मों में भी संगीत दिया।
लाहिड़ी 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए। उन्होंने श्रीरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी से हार गए। उनका आखिरी बॉलीवुड गीत 2020 में आई फिल्म ‘‘बागी 3’’ का ‘‘भंकास’’ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हर कोई लाहिड़ी के जिंदादिल स्वभाव को याद करेगा। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘बप्पी लाहिड़ी जी के संगीत ने विविध भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त किया। कई पीढि़यों के लोग उनके संगीत से जुड़ाव महसूस कर सकते हैं। हर कोई उनकी जिंदादिली को याद करेगा। मैं उनके निधन से दुखी हूं। मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ओम शांति।’’
फिल्म इंडस्ट्री में भी कई लोगों ने गायक के निधन पर शोक व्यक्त किया है और उन्हें बॉलीवुड में संगीत का एक नया अंदाज पेश करने वाले कलाकार के तौर पर याद किया। लाहिड़ी को उनके प्रशंसक प्यार से ‘बप्पी दा’ बुलाते थे।
बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने कहा, ‘‘उन्होंने चलते चलते, सुरक्षा और डिस्को डांसर के साथ हिंदी फिल्म संगीत को अधिक समकालीन शैली दी। शांति दादा। आप याद आएंगे।’’ गायिका अनुराधा जुजु पलाकुर्ति ने कहा कि लाहिड़ी के निधन से उन्होंने एक मार्गदर्शक खो दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक मार्गदर्शक खो दिया, इंडस्ट्री ने एक दिग्गज को खो दिया, जिनका काम हमेशा चमकता रहेगा, दुनिया ने असाधारण अच्छाई और दयालु स्वभाव वाले ‘सात्विक’ व्यक्ति को खो दिया है तथा परिवार ने प्यार करने वाले पति, पिता और दादा को खो दिया है।’’
फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने लाहिड़ी को अद्भुत मधुर आवाज वाला और प्रतिभाशाली व्यक्ति बताया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘एक और दिग्गज चला गया।’’
लाहिड़ी का जन्म पश्चिम बंगाल के कोलकाता में संगीतकारों के एक परिवार में 1952 में हुआ। लाहिड़ी का संगीत के प्रति प्रेम तीन वर्ष की आयु में ही शुरू हो गया था जब उन्होंने तबला बजाना शुरू किया। उनके लिए ‘‘पग घुंघरू’’ और ‘‘चलते चलते’’ जैसे गीत गाने वाले मशहूर गायक किशोर कुमार उनके ‘‘मामा’’ थे।
न केवल हिंदी फिल्मों में बल्कि लाहिड़ी बंगाली सिनेमा में भी लोकप्रिय नाम थे, जहां उन्होंने 1972 में आई फिल्म ‘‘दादू’’ से अपने करियर की शुरुआत की। बतौर संगीतकार उनकी पहली हिंदी फिल्म 1973 में आई ‘‘नन्हा शिकारी’’ थी। ‘‘जख्मी’’ फिल्म के लिए गाना गाने और संगीत देने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
‘‘जख्मी’’ के बाद उन्हेांने ‘‘चलते चलते’’, ‘‘सुरक्षा’’ और अन्य फिल्मों में काम किया और उनका डिस्को संगीत युवाओं के बीच इतना लोकप्रिय हुआ कि उन्हें भारत के ‘‘डिस्को किंग’’ की उपाधि दे दी गई।
गायक ने 2019 में एजेंसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि वह अपने युग के कुछ बड़े सितारों के लिए गाना गाने को लेकर खुद को भाग्यशाली मानते हैं।
उन्होंने कहा था, ‘‘मुझे यह सफर तय करके और इंडस्ट्री में अत्यधिक प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करके काफी गर्व महसूस होता है। मैंने दिलीप कुमार से लेकर रणवीर सिंह तक के लिए काम किया। ‘धर्म अधिकारी’ से लेकर ‘गुंडे’ तक में काम किया है।’’
(साभारः भाषा)

कैफ़ी आज़मी की कहानी; साहित्य का सिनेमा कलम से कैमरे तक

 

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