ज्योतिष विश्लेषणः अल्सर में भूलकर भी न पहने पुखराज, ये है समाधान

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file photo source: social media

”शरीर व्याधि मन्दिर“ अर्थात शरीर रोगों का घर है।
ज्योतिषीय दृष्टि से काल पुरुष की कुंडली में पंचम भाव पेप्टिक, अर्थात् पाचन संस्थान का है ”पंचम भाव” पर मंगल/केतु ग्रह की दृष्टि होना यह दर्शाता है की जातक को 70 प्रतिशत तक यह रोग होने की संभावना होती है।
इसमें वक्री ग्रहों का भी काफी योगदान बनता है। जन्मकुंडली अनुसार विभिन्न रोगों में दूसरी और ”सूर्य ग्रह” का संबंध अग्नि तत्त्व वाले ग्रहों से हो, साथ ही जन्मपत्री में जलतत्व की मात्रा कम हो, वहीं पर गुरू ग्रह का अत्यधिक कमजोर होना इस रोग में आग में घी का काम करता है।
अल्सर पाचन तंत्र के अस्तर पर घावों को कहा जाता है। ये अम्ल (एसिड) की अधिकता के कारण आमाशय या आंत में होने वाले घाव के कारण होते हैं। अल्सर अधिकतर ड्यूडेनम (आंत का पहला भाग) में होता है। दूसरा सबसे आम भाग पेट है (आमाशय अल्सर)। पैप्टिक अल्सर के कई कारण हो सकते हैंः
अल्सर के कारणः-
गतिहीन जीवन शैली या खराब खाने की आदत
एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा सेवन
तैलीय भोजन
अत्यधिक अवसाद द्धक्मचतमेेपवदऋ
शराब, कैफीन और तंबाकू का सेवन

अल्सर रोग में घरेलू उपचारः- फ्लेवोनोइड्सःप्रोबायोटिक्सःशहद. क्रैनबेरी फल, सब्जियां और साबुत अनाजः

नोटः- बहुत लोगों को चांदी के गिलास में पानी पीना, कुंडली अनुसार रुद्राक्ष धारण और पुखराज रत्न खुलवाकर सही राशि रत्न पहना कर कई रोगो से लाभ दिलवाया है। जरुरी होने पर डॉक्टर से सलाह लेने को भी कहा जाता है।

”पराविज्ञान” श्रद्धा का विषय है,
ज्योतिष शास्त्र हमारा गौरव है।
मनोरंजन नहीं …?
हम भाग्य के ज्ञाता है।
भाग्य विधाता नही।

पंडित मनोहर
मो. नंबरः 9393422294

इस लग्न के जातक किसी दूसरे के सुख-दुख की उपेक्षा नहीं करता

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