धर्मशाला/पंचकुला, 5 मार्च। आंचल जैसे ही गाड़ी से उतरी पूरे परिवार के मुरझाये चेहरों पर चमक लौट आई। अपनों के बीच आंचल शर्मा के चेहरे पर भी सुकून नजर आ रहा था। आंचल भी हजारों भारतीय छात्रों की तरह ही रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कीव में फंस गई थी।
युद्धग्रस्त देश में फंसे होने की मानसिक पीड़ा और एक लंबे सफर की सारी थकान घर आकर दूर हो गई। पिता राजेश शर्मा उसे दिल्ली से लेकर पंचकुला पहुंचे। आंचल मूलरूप से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के लुथान गांव की निवासी है। आंचल के दादा स्वर्गीय जगदीश शर्मा आयकर विभाग में अधिकारी थे।
आंचल के यूक्रेन में फंस जाने के बाद पूरा परिवार सदमे में आ गया था और उसके सकुशल वापस लौटने की प्रार्थना कर रहा था। आंचल ने जैसे ही पंचकुला में अपने घर में कदम रखा पूरा घर खिल उठा। पूरे परिवार की जान में जान आ गई। आंचल जब कीव में फंसी हुई थी, तब भी उसने एक न्यूज चैनल के माध्यम से वहां फंसे छात्रों की व्यथा बताई थी।
घर लौटी आंचल का कहना है कि उसकी शिक्षा पूरी होने में दो-तीन महीने ही रह गए थे और युद्ध छिड़ गया। इस अप्रिय हालत के बारे में किसी को गुमान नहीं था। उसने कहा कि हालत सामान्य होने पर वह वापस कीव जाएगी और अपनी शिक्षा पूरी करेगी।