क्योंकि यह मनुष्य प्रकृति है कि वह व्यक्तिगत जीवन में सदैव सम्मान के साथ स्वस्थ, सम्पन्न और सुरक्षित रहना चाहता है। चरित्रहीन और अनैतिक व्यवहार करने वाले व्यक्ति भी स्वयं के साथ चरित्रवान और नैतिक आदर्शों की अपेक्षा रखता है।
उदाहरण
विभीषण ने भाई रावण को धोखा दिया लेकिन धर्म का साथ दिया फिर भी कोई अपने घर में विभीषण नहीं चाहता।
श्रीकृष्ण के अनन्य भक्तों को भी पत्नी, बहन और पुत्री का राधा-मीरा जैसा समर्पण और पत्नियों को श्याम सखा जैसी आध्यात्मिक रासलीलाएं भी कदापि स्वीकार्य नहीं।
डॉ सरोज व्यास
(लेखिका-शिक्षाविद्)