झूठे अहंकार से पतन और सच्चे समर्पण से उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
शिव के अनन्य भक्त, प्रकांड पंडित और महा शक्तिशाली रावण के विनाश का कारण उसका अहंकार तथा दूसरी ओर भालू एवं बंदरों के साथ वनवासी श्री राम की विजय के पीछे उनका समर्पण भाव था।
डॉ सरोज व्यास
(लेखिका-शिक्षाविद्)