व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में यदि परिजन, अधिकारी और सहकर्मी यह समझकर खुश होते हैं कि आपको उन्होंने बेवकूफ बना दिया तो उन्हें गलत फहमी में जीने देना चाहिए।
क्योंकि मूर्खों को समझाने में अपनी क्षमताओं को व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
प्रो. (डॉ) सरोज व्यास
(लेखिका-शिक्षाविद्)
निदेशक, फेयरफील्ड प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान,
(गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय), नई दिल्ली