निर्दोष व्यक्ति यदि अकारण मानसिक, भावात्मक और सामाजिक स्तर पर अपमानित होता है। तब निश्चित रूप से वह किसी अपने सबसे प्रिय के कर्मों का फल भोगता है।
प्रो. (डॉ) सरोज व्यास
(लेखिका-शिक्षाविद्)
निदेशक, फेयरफील्ड प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान,
(गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय), नई दिल्ली