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‘जिंदगिया दी एही रीत ऐ, हारने ते बाद इ जीत ऐ’
दिल्लिया च तकरीबन अपणी सारी जिंदगी कटणे ते बाद पिता जी सन 1986 च अपणे पैदाइशी ग्रांएं परोल जिला हमीरपुर च नौंआं घर बणाई...
‘ज़िन्दगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है’
दिल्ली शहर में लगभग पूरा जीवन बिताने के पश्चात, पिताजी वर्ष 1986 में अपनी जन्मभूमि गाँव परोल (हिमाचल प्रदेश) में नया मकान बना रहे...