- सुबह पत्नी की स्वास्थ्य जांच के लिए घर पर डाक्टर को भेजा, पत्नी ने की अभद्रता तो दोपहर में डाक्टर को दून से अल्मोड़ा तबादला कर दिया। चार बजे तक डाक्टर को रिलीव भी कर दिया
- आक्रोशित डा. निधि उनियाल ने पद से दे दिया इस्तीफा
उत्तराखंड में नौकरशाह कितने फुर्तीले हैं, इसका उदाहरण स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडेय से लिया जा सकता है। स्वास्थ सचिव की पत्नी को अपना चैकअप कराना था। सुबह डा. निधि उनियाल को कहा गया कि पंकज पांडे के घर जाओ और उनकी पत्नी के स्वास्थ्य की जांच करो। डा. निधि अपने दो साथियों क साथ जांच के लिए पंकज पांडे के घर पहुंची। गलती से बीपी मशीन कार में ही छूट गयी। आरोप है कि पंकज पांडे की पत्नी ने डा. निधि और उनके साथी स्टाफ के साथ अभद्र व्यवहार किया। इससे नाराज डा. निधि उनकी जांच किये बिना वापस दून अस्पताल लौट आई।
थोड़ी देर में ही उनको ट्रांसफर लेटर मिल गया कि अल्मोड़ा जाओ। डा. निधि दून मेडिकल कालेज में जनरल मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। और आज सुबह वो ओपीडी में मरीजों की जांच कर रही थी। मरीजों को छोड़कर स्वास्थ्य सचिव के घर गयी और अपना तबादला करवा बैठी।
याद रखें, डा. निधि ने पिछले दो साल में कोरोना के दौरान दून अस्पताल में पूरा मोर्चा संभाला हुआ था। दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना के अनुसार डा. निधि को रिलीव कर दिया गया। उनका कहना है कि अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में जरूरत थी। स्वास्थ्य सचिव ने इतनी फुर्ती यदि कोरोना काल में दिखाई होती तो प्रदेश में 7500 लोगों की जान नहीं गयी होती।
यह बात भी विचारणीय है कि प्रोटोकॉल के तहत सीएम या गर्वनर के घर ही डाक्टर जा सकता है। इतनी सीनियर डाक्टर को पंकज पांडे के घर नहीं भेजा जाना चाहिए था। वह भी जब डा. निधि ओपीडी ले रहीं थी। यह भी बता दूं कि तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत और तीरथ सिंह रावत दोनों को जब कोरोना हुआ तो वो खुद अस्पताल गये थे। तो क्या पंकज पांडे सीएम से भी बड़े हो गये।
इससे आहत डा. निधि ने अपना इस्तीफा स्वास्थ्य सचिव को भेज दिया है। तबादला आदेश और इस्तीफे की कापी मेरे पास उपलब्ध है। सबसे अहम बात यह है कि प्रदेश में पहले ही स्पेश्यलिस्ट डाक्टरों का भारी अभाव है। पंकज पांडेय की पत्नी की वजह से एक और उम्दा और कर्मठ डाक्टर हमने खो दी है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]