केदारनाथ उपचुनाव का बिगुल बज चुका है। 20 नवंबर को चुनाव होना है। पता नहीं कुलदीप रावत की किस्मत में राजयोग है या नहीं। कुलदीप भी राजेंद्र भंडारी की तर्ज पर भाजपा की ओवरक्राउडिड नाव में सवार हो गया। अभी यदि निर्दलीय चुनाव लड़ता तो आसानी से केदारनाथ उपचुनाव जीत जाता। लेकिन भाजपा की नाव उसे महंगी पड़ रही है। यदि भाजपा ने टिकट नहीं दिया जो कि संभवतः देगी भी नहीं। राजेंद्र भंडारी वाला हाल हो सकता है। तो ऐसे में क्या कुलदीप बगावत करेगा? मुझे तो लगता है वो जरूर बगावत करेगा। भीड़ में इंतजार क्यों करे। पर कुछ फैसले गलत भी होते हैं जैसे उसका भाजपा में जाना।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)