हरिद्वार मेडिकल कालेज एक उपलब्धि

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file photo source: social media
  • धन्यवाद धनदा, कसरत और मेहनत रंग लाई
  • एनएमसी ने 100 एमबीबीएस सीटों की मान्यता दी

देर आयद, दुरस्त आयद की तर्ज पर हरिद्वार मेडिकल कालेज को नीट यूजी थर्ड राउंड कांउसिलिंग शुरू होने से ठीक पहले एनएमसी ने मान्यता दे दी। यह मान्यता 100 सीटों के लिए मिली है। यह शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह की एक उपलब्धि ही मानी जाएगी। उन्होंने और उनकी टीम ने इस कालेज पर आखिरी क्षण तक लड़ाई लड़ी और मान्यता दिलवा ही दी। नीट यूजी में हुई भारी गड़बड़ी के शिकार हुए कुछ बच्चों को तो जरूर सीटें मिल जाएंगी। यह डॉ. धन सिंह रावत का एक सराहनीय प्रयास है।
हरिद्वार मेडिकल कालेज अभी 80 प्रतिशत ही बना है। ऐसे में एनएमसी इस कालेज को मौजूदा सत्र में शुरू करने के लिए तैयार नहीं था। डॉ. धन सिंह रावत और उनकी टीम ने एनएमसी को तर्क दिया कि पहले सत्र के दौरान एमबीबीएस के छात्रों को क्लासरूम में ही पढ़ना होता है। इसके लिए कालेज में प्रथम वर्ष के चारों विषयों के लिए पर्याप्त स्थान और फैकल्टी है। गर्ल्स और ब्यॉयज हास्टल भी तैयार हैं। एनएमसी पहले और दूसरे राउंड तक तैयार नहीं हुआ। लेकिन सब कुछ ऑनलाइन था तो एनएमसी की टीम ऑनलाइन मानीटरिंग करती रही। इस बीच मेडिकल एजूकेशन की टीम लगातार एनएमसी में अप्रोच करती रही। आखिरकार यह कसरत और मेहनत रंग लाई और काउंसिलिंग के तीसरे राउंड से पहले एनएमसी ने हरिद्वार मेडिकल कालेज को 100 सीटों की अनुमति सशर्त दे दी।
बता दूं कि इससे उत्तराखंड के कुछ ही बच्चों को लाभ होगा, क्योंकि बाढ़ की तरह दूसरे प्रदेशों के बच्चों ने हमारे प्रदेश के बच्चों के हकों पर डाका डाल दिया है क्योंकि आश्चर्यजनक तरीके से तेलंगाना, आसाम, राजस्थान, पंजाब, चंडीगढ़, यूपी के छात्र भी स्टेट कोटे से स्थायी निवास प्रमाणपत्र और अन्य रिजर्व कैटिगिरी के आधार पर प्रवेश ले रहे हैं। ऐसे में कुछ ही सीटें मूल निवासियों को मिलेंगी। इसके बावजूद डॉ. धन सिंह रावत और उनकी टीम का धन्यवाद कि तमाम गड़बड़ियों के बीच कुछ गरीब बच्चे तो डाक्टर बन सकेंगे।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

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