ओह, सैन्यधाम का ढोंग छोड़ दो, सरकार!

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  • धक्के खा रहे शहीद स्क्वाड्रन लीडर अभिमन्यु के माता-पिता
  • बहू ने संपत्ति को लेकर किया केस

देहरादून का जैंतनवाला गांव। इस गांव में नून नदी के किनारे एक दुमंजिला मकान है। इस मकान से पिछले दस महीने से नून नदी में एक और अभिमन्यु की मां की पवित्र अश्रुधारा बह रही है जो नदी के जलस्तर को बढ़ा रही है। इस मां की बेइंतहा पीड़ा, उदासी और हृदय से उठती हूक को महसूस कर कलेजा मुंह को आता है। यह पीड़ा और हूक तब और अधिक बढ़ जाती है जब जिस देश के लिए मां का इकलौता लाल अभिमन्यु शहीद हो गया तो उस लाल के नाम पर पिछले दस माह में न एक सड़क बनी और न ही द्वार। यही नहीं पुत्रशोक से ग्रस्त माता-पिता अपने पैसे से बेटे के नाम पर बच्चों को सेना में जाने के लिए ट्रेनिंग पार्क विकसित करना चाहते हैं तो शासन-प्रशासन उसकी भी इजाजत नहीं दे रहे। ऐसे में देहरादून में सैन्य धाम महज ढोंग नहीं तो और क्या है?
यह कहानी है एयरफोर्स के स्क्वाड्रन लीडर अभिमन्यु की। अभिमन्यु हैदराबाद स्थित एयरफोर्स एकादमी में बतौर इंस्ट्रक्टर कैडेट को प्लेन उड़ाना सिखा रहा था। इससे पूर्व वह पीएम मोदी समेत देश के वीआईपी जहाज उड़ाने वाले 9 पायलट की टीम में भी शामिल रहा।
स्क्वाड्रन लीडर अभिमन्यु रॉय 4 दिसंबर 2023 को जब वियतनाम के कैडेट को पायलेट प्रशिक्षण दे रहे थे तो उनका प्लेन तूप्रान में हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में दोनों ही पायलट शहीद हो गए। यह दुःखद है कि स्क्वाड्रन लीडर अभिमन्यु को शहीद का दर्जा नहीं मिला। अश्रुपूरित मां चित्रलेखा शिकायती लहजे में कहती है कि हमने फौज को इकलौता छह फीट लंबा हैंडसम बेटा दिया, फौज ने लकड़ी का कॉफिन पकड़ा दिया। अभिमन्यु की मां का आरोप है कि यह दुख तब और समुद्र से गहरा हो गया जब बेटे की पत्नी जो खुद स्क्वाड्रन लीडर है, उसने बेटे की 13वीं के बाद यहां का मुंह नहीं किया. और बेटे की सारी संपत्ति, सेना से मिले पैसे, पेंशन, ड्रेस, मेडल, फ्लैट, कार, बाइक तक कब्जा लिया और अब देहरादून में अभिमन्यु के पिता द्वारा निर्मित घर और इंश्योरेंस में हिस्से के लिए दिल्ली कोर्ट में केस कर दिया। इस संबंध में बहू पक्ष से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन वो टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए।
अभिमन्यु के पिता अमिताभ रॉय भी एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन रहे। वह कहते हैं कि शादी के महज 3 साल में बहू को सब हक मिल गया, लेकिन माता-पिता को उसकी ड्रेस तक नहीं मिली। अभिमन्यु की मां चित्रलेखा नैनीताल की हैं। आंखों की कोर से मोती जैसे लुढ़क रहे आंसुओं को पोंछते हुए वह बोली, उनके निवास पर सीएम धामी और सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी भी आए। तब गणेश जोशी ने कहा था कि जैंतनवाला सड़क का नाम अभिमन्यु के नाम पर होगा। यहां उसके नाम का द्वार बनेगा।
अभिमन्यु के पिता एसएसबी में भी रहे। वह गम भुलाने के लिए अब कई अभिमन्युओं को तैयार कर रहे हैं। यानि नवयुवाओं को एनडीए और सीडीएस की तैयारी करवा रहे हैं। उनसे ट्रेनिंग हासिल कर गांव के दो लड़के एनडीए में चयनित हो गए हैं। वह चाहते हैं कि ऐसे बच्चों को निःशुल्क ट्रेनिंग दें। लेकिन घर में जगह कम है। निकट ही सरकारी जमीन है वह इस जमीन को पार्क के तौर पर अपने बेटे के नाम से विकसित करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने वीर अभिमन्यु डिफेंस ट्रस्ट भी बनाया है। उनको शिकायत है कि न अब सीएम समय दे रहे है और न ही गणेश जोशी मिल रहे हैं। कुछ दिन पहले तत्कालीन डीएम सोनिका से सड़क निर्माण की मांग को लेकर मिली तो सोनिका ने उनकी एप्लीकेशन हाथ में ली और नजर उठा कर भी नहीं देखा, सीधे पूछा काम बताओ? काम बता दिया गया, लेकिन हुआ ही नहीं जबकि हैदराबाद के डीएम ने अभिमन्यु के नाम की सड़क तुरंत पास कर दी।
सरकार, यदि विरासत में देशभक्ति और सीने में सर्वाेच्च बलिदान देने का जज्बा रखने वाले सैन्य अफसर और उनके परिजनों के साथ इस तरह का व्यवहार होता है तो जेसीओ और अदर्स रैंक के साथ क्या होगा? ऐसे में सैन्य धाम निर्माण महज जमीन और बजट हथियाने का एक शुगूफा ही माना जा सकता है।
मेरी धामी सरकार से अपील है कि स्क्वाड्रन लीडर अभिमन्यु के परिजनों की मांगों को जल्द पूरा करें। उनके साथ अभिमन्यु की पत्नी जो कि एयरफोर्स में ही अफसर हैं, किस तरह का सुलूक किया है। डिटेल रिपोर्ट उत्तरजन टुडे के अक्टूबर अंक में जल्द।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

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