देहरादून के अपने नए डीएम सविन बंसल गजब के हैं। कभी अस्पताल में मरीजों की लाइन में तो कभी ठेके की लाइन में। जानते हैं कि देहरादून में शराब का 1200 करोड़ का राजस्व मिलता है, तो फिर ग्राहकों का पक्ष लेना तो बनता ही है। ओवररेटिंग को पकड़ लिया। एसएसपी को भी बाइक पर बिठाकर सैर करा दी।
एक पहले वाली डीएम थी, मैम को मैंने कहा कि आपके और मेरे बच्चे को जीरो से करियर शुरू करना है तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले को यूं गुंडा न बनाओ। खूब बहस की, पर मानी ही नहीं या राजनीतिक दबाव में आ गई शायद। हुआ क्या? जिला बदर विकेश नेगी शान से वापस दून लौट आया।
ब्यूरोक्रेसी का स्याह पक्ष यह है कि अनपढ़ नेताओं की भी जी-हुजूरी करनी पड़ती है, लेकिन इतना ध्यान तो रहना चाहिए कि नेता बहुत कुछ हैं, लेकिन सब कुछ नहीं। ब्यूरोक्रेट बेस्ट ब्रेन होता है। जनता को नेताओं से कहीं अधिक नौकरशाहों से उम्मीद होती है। इस उम्मीद की हत्या मत करो, प्लीज।
नए डीएम सविन बंसल का यह जज्बा बना रहे। मिसाल होगी।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)