ऋतु जी, बिजनेस था तो सत्र क्यों नहीं चला?

82

file photo

  • 495 सवाल थे, जवाब 109 का ही क्यों?
  • 18 घंटे 9 मिनट चला सदन, सदस्यों की दिहाड़ी काट लो सरकार

विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। सत्र शुरू होने से पहले विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बड़े दावे किए कि जनता के टैक्स के पैसे पर सत्र चलता है, यदि बिजनेस नहीं होगा तो सत्र क्यों चलना? ठीक बात है, लेकिन मैडम, आपने जनता के पैसे का ध्यान ही कहां रखा? तीन दिन का सत्र था। कोई भी नौकरी आठ घंटे की होती है। इस आधार पर सत्र कम से कम 24 घंटे तो चलना था। जबकि सत्र महज 18 घंटे नौ मिनट ही चला। क्या बाकी घंटे की दिहाड़ी काट ली जाएगी।
दूसरी बात, आपने नियम 310 को 58 में बदलते हुए आपदा और भ्रष्टाचार पर विपक्ष को आधे घंटे का ही समय दिया। क्यों? नेता तो आधे घंटे में इंट्रोडक्शन भी नही दे पाते हैं। तीन सदस्यों से बुलवा लिया। हद है। स्पीकर के तौर पर क्या यह विपक्ष के साथ इंसाफ है? आपने कहा कि बिजनेस नहीं है, था तो, विधायकों के 500 सवाल थे, तो उनका ही जवाब देने देते। जनता का पैसा है मैडम। महज 109 सवालों पर ही बिजनेस खत्म हो गया। जब सदन निर्धारित समय से पहले स्थगित किया जा सकता है तो फिर एक दिन बढ़ाया भी तो जा सकता है। जनता का आधा पैसा तो व्यर्थ ही चला गया। बिजनेस पूरा नहीं हुआ।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here