पिता की सैन्य विरासत को सहेज रहे जनरल विकास

85
  • देश सेवा की जिद, एनडीए में विफल, सीडीएस से मिला मुकाम
  • ले. जनरल विकास लखेड़ा बने आसाम राइफल्स के डीजी

ले. जनरल विकास लखेड़ा ने एक अगस्त को आसाम राइफल्स के महानिदेशक यानी डीजी का पदभार संभाल लिया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। जनरल टीपीएस रावत के बाद वह दूसरे सैन्य अफसर हैं जिन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। आसाम राइफल्स की 36 पलटन हैं। हालांकि ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया से ही सैन्य और पैरा-मिलिट्री में भर्ती होती है लेकिन उनके डीजी बनने से एक बार फिर उत्तराखंड के युवाओं के लिए आसाम राइफल्स के द्वार खुलने की उम्मीद है। जनरल टीपीएस रावत ने उत्तराखंड के सैकड़ों युवाओं को आसाम राइफल्स में नौकरियां दिलाई थी। जनरल रावत द्वारा 2003 की भर्ती के बाद उत्तराखंडी युवाओं को आसाम राइफल्स की राह कठिन हो गई।
कल सुबह मैं और उत्तरजन टुडे के संपादक पीसी थपलियाल ले. जनरल विकास लखेड़ा के देहरादून निवास पर पहुंचे। जनरल लखेड़ा के पिता पूर्व डीआईजी वीपी लखेड़ा और उनकी माता ऊषा लखेड़ा मिले। डीआईजी लखेड़ा का बचपन बहुत संघर्ष में बीता। टिहरी के खास पट्टी के गांव जखंड निवासी विष्णु जब महज दो साल के थे तो मां का निधन हो गया और पिता पांच साल की उम्र में चल बसे। बड़े भाई ने सहारा दिया विष्णु ने 1963 में सेना में कमीशन हासिल कर लिया। उन्हें 1 सिख रेजीमेंट में तैनाती मिली। बाद में उन्हें बीएसएफ में डेपुटेशन पर भेजा गया।
सेना की पिता की उसी विरासत को आगे ले जा रहे हैं जनरल लखेड़ा और उनके छोटे भाई ले. कर्नल असीम लखेडा। डीआईजी लखेड़ा हंसते हुए बताते हैं विक्की पढ़ने में अच्छा नहीं था लेकिन खेल और संगीत में बहुत ही अच्छा था। बैडमिंटन और हॉकी में बहुत अच्छा। उन्होंने बताया कि विक्की ने जिद की कि उसे फौज में ही जाना है। एनडीए में रिटन तो क्लियर कर लिया लेकिन एसएसबी पास नहीं कर सका। इसके बाद देहरादून के डीएवी में पढ़ा और सीडीएस के माध्यम से सेना में कमीशन ले लिया। विकास को सिख लाइट इंफेंट्री में कमीशन मिला। सेना में रहते हुए उन्हें सेना मेडल और अतिविशिष्ट सेवा मेडल मिला। जेएडंके में इनसर्जेंसी को रोकने में भी उनकी अहम भूमिका रही।
जनरल विकास बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं। वह कोई भी साज बजा लेते हैं। आज भी हॉकी खेलते हैं और वह 16 भाषाएं बोल लेते हैं। नगा विद्रोह को दबाने और वहां के लोगों के साथ सेना का संवाद बढ़ने में भी उनकी भूमिका रही है। इसमें उनकी नगा भाषा पर महारत ने बड़ा काम किया।
जनरल विकास को कालेज के दोस्त विक्की तो आर्मी के दोस्त वुडी कहते हैं। जब मैंने डीआईजी लखेड़ा से पूछा कि उन्हें वुडी क्यों कहते हैं तो वह हंसते बताते हैं कि वुडी यानी लकड़ी। लखेड़ा सरनेम पर आर्मी के दोस्त उसे कहते हैं कि लखेड़ा नहीं तू वुडी है। जनरल विकास जब भी छुट्टी पर आते हैं तो अपने गांव जाते हैं। दोनों पिता पुत्र एक साथ गांव जाते हैं। डीआईजी लखेड़ा बताते हैं कि हमारे परिवार में वही गढ़वाली बोलता है। उत्तराखंड के विकास को लेकर अक्सर फोन पर बात करता है।
पहाड़ की माटी और थाती को समर्पित ले. जनरल विकास लखेड़ा को आसाम राइफल्स का डीजी बनने की हार्दिक शुभकामना।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here