- सड़ा और सबसे भ्रष्ट विभाग बन चुका है मेडिकल एजूकेशन
- मेडिकल एजूकेशन विभाग को खुद इलाज की जरूरत
डा. निधि उनियाल कहां होगीं इन दिनों? जनता की यादाश्त बहुत कमजोर होती है। अब तो किसी को तो पता नहीं होगा कि डा. निधि उनियाल कहां हैं और किस हाल में हैं। यह भी नहीं पता होगा कि उनके साथ हुआ क्या था कि उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ गयी थी। पिछले साल मार्च का मामला था और अप्रैल में जांच के सीएम धामी ने डा. निधि उनियाल मामले की जांच अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार को सौंपी थी। एक साल हो गया रिपोर्ट नहीं आयी।
याद दिला दूं कि डा. निधि के साथ तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे की पत्नी ने घर बुलाकर दुर्व्यवहार किया था। इसके बाद डा. निधि ने दून अस्पताल से इस्तीफा दे दिया था। इस मामले की जांच एक साल से अटकी है। कोई जांच नहीं हुई। डा. निधि इन दिनों गौतम बुद्ध मेडिकल कालेज में प्रोफेसर मेडिसिन के तौर पर काम कर रही हैं।
जांच अधिकारी एसीएस मनीषा पंवार ने क्या जांच की होगी। रिपोर्ट सार्वजनिक हुई क्यों नहीं? क्या डाक्टर अब तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे के घर उनकी पत्नी के बुखार आने पर जाते होंगे? क्या पंकज पांडे की पत्नी का व्यवहार बदला होगा? इन सब सवालों के जवाब कौन देगा? शासन जितनी भी जांच बिठाता है, आखिर जांच रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जाती?
मनीषा पंवार जांच रिपोर्ट भी सार्वजनिक होनी चाहिए। अब सुना है कि पंकज पांडे फिर से स्वास्थ्य सचिव होंगे, क्योंकि डा. आर राजेश एक महीने के लिए ट्रेनिंग पर जा रहे हैं।
मैं बता दूं कि मौजूदा समय में मेडिकल एजूकेशन सबसे भ्रष्ट विभागों में से एक है। यहां का हर अंग सड़ा हुआ है और बदबू दे रहा है। मेडिकल एजूकेशन को खुद इलाज की जरूरत है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]