- त्रिवेंद्र चचा के इंवेस्टर्स मीट में अडाणी ने जतायी थी निवेश की इच्छा
- अडाणी ग्रुप के साथ एग्रो या पीआरटी समझौते हुआ हो तो उसकी हो समीक्षा
अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद ग्रुप की पोल खुल रही है। अडाणी ग्रुप दो रुपये की चीज 100 में बेच रहा है। कोरोना काल में एक ओर मोदी जी लोगों को मुफ्त की राशन बांट कर भिखमंगा बना रहे थे तो दूसरी ओर अडाणी खाद्य तेल पर लूट मचा रहा था। खाद्य तेलों के दाम आसमान पर थे। अब तो योगी सरकार ने अडाणी ग्रुप के साथ मध्यांचल पावर प्रोजेक्ट के टेंडर को रद्द कर दिया है। यह प्रोजेक्ट 5400 करोड़ का था। इसकी लागत 48 से 65 प्रतिशत अधिक थी। यानी योगी सरकार ने जनहित में अच्छा फैसला लिया है।
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र चचा की सरकार के दौरान अडाणी ग्रुप ने एक हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव सरकार को दिया था। इसमें एग्रो सेक्टर में निवेश के साथ ही देहरादून लाइट रेल ट्रांजिट मेट्रो प्रोजेक्ट और हरिद्वार-दून पीआरटी की बात थी। इस पर 4650 करोड़ का खर्च आने का अनुमान था। मुझे लगता है कि यदि यह करार हुआ होगा तो यह बाजार भाव से बहुत ही अधिक साबित होगा। उत्तराखंड सरकार को इस संबंध में अधिकारिक जानकारी देनी चाहिए। यदि करार महंगा हुआ है तो सरकार को दोबारा विचार करना चाहिए।
गौरतलब है कि अडाणी ग्रुप उत्तराखंड में पावर प्रोजेक्ट में भी रुचि ले रहा है; सरकार को अडाणी ग्रुप से सावधान रहना चाहिए, हालांकि मोदी जी से अडाणी की निकटता है। यदि सरकार मजबूर न हो तो अडाणी ग्रुप से दूरी बनाना चाहिए।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]