- बिना टेंडर के ही मेेरठ की फर्म को दे दिया निर्माण कार्य
- 66 करोड़ का प्रोजेक्ट, पहले चरण में ही सात करोड़ का भुगतान
रुद्रप्रयाग के नरकोटा में गत 20 जुलाई को निर्माणाधीन पुल की शैटरिंग गिरी। इस हादसे में दो मजदूरों की मौत हो गयी थी और आठ घायल हो गये थे। मैंने इस संबंध में 10वां राष्ट्रीय मार्ग वृत्त, लोनिवि में एक आरटीआई लगाई थी। इसमें छह बिन्दुओं पर सूचना मांगी गयी। इसमें बताया गया कि पुल 2023 तक तैयार होगा और इसकी कुल लागत 66 करोड़ 30 लाख 83 हजार 832 रुपये है। मैंने सूचना मांगी कि टैंडर प्रक्रिया में शामिल कंपनियों की प्रोफाइल और कंपरेटिव रेट्स की अभिलेखीय जानकारी दें। इस बिन्दु पर जो जानकारी दी गयी है वह बहुत चौंकाने वाली है। इसमें कहा गया है कि कार्य डिपोजिट मद के तहत आरवीएनएल से प्राप्त धनराशि के विरुद्ध अनुपूरक अनुबंध गठिन किया गया है।
जानकारों की मानें तो अनुपूरक अनुबंध का प्रावधान महज ढाई लाख तक के बजट तक ही होता है। इसके बाद हर हाल में टेंडर किये जाने चाहिए थे। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और इसका अनुबंध मेरठ की कंपनी आरसीसी डेवलपर्स को दे दिया गया। उससे भी गंभीर बात यह है कि जब पुल की शैटरिंग गिरी तो बिना किसी नये सिरे के टेंडर के ही लोनिवि की इकाई ने 30 अगस्त को ठेके के संबंध में प्रकरण की आवश्यक कार्रवाई को मुख्य अभियंता स्तर वन को दे दी है। मजेदार बात यह है कि उक्त पुल के इंजीनियर प्रमोद कुमार थे और अब वही इस ठेका फर्म का फैसला करेंगे, क्योंकि वह अब एनएच के चीफ इंजीनियर बन गये हैं। ऐसे में फैसला कैसे होगा? यह बड़ा सवाल है।
हादसे की जांच आख्या दो पेज की है। इसे मुझे लेने जाना है। इस बीच अधिशासी अभियंता श्रीनगर से जानकारी मिली है कि आरसीसी डेवलपर्स को प्रथम स्टेज के लिए 9 करोड़ 74 लाख 65 हजार 310 रुपये का भुगतान चेक से किया गया है। मुझे जो पुल डिजाइनिंग की जानकारी दी गयी है वह पढ़ी नहीं जा रही है। यह सूचना पूरी तरह से भ्रामक है। इसलिए मैंने तय किया है कि इस मुद्दे पर मैं अब सीधे सूचना आयोग का रुख करूंगा। लेकिन यह तय है कि इस पुल के निर्माण प्रक्रिया में बड़ा खेल हुआ है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]