स्पीकर महोदया का इमोशनल अत्याचार

445

उफ, क्या गजब करते हो जी, अनुभवी स्टाफ पर सवाल उठाते हो जी? सही बात है। क्यों उठा रहे हो? अभी तो मैम ने दो पूर्व स्पीकरों के साथ पंगा लिया? इतना बड़ा फैसला किया है। भला आज के युग में सत्य की जीत देखी कभी? एहसान मानो मैम का? चोरी से लगाए कर्मचारियों को हटा दिया। नहीं हटाती तो क्या बिगड़ जाता भला। सब कुछ तो नियमानुसार था।
मैम, हिट होने से क्षुब्ध हैं। पिता का आसरा ले रही हैं, यानी पूरी तरह से इमोशनल अत्याचार। जनरल खंडूड़ी हमारे गौरव हैं, अलग बात है कि अनुभवी सारंगी बीन बजाता रहा तो वो कुछ न कर सके। जनरल टीपीएस रावत भी हमारे गौरव हैं। एक जनरल ने दूसरे जनरल का सत्ता के लिए इस्तेमाल कर लिया तो क्या बुरा किया? राजनीति में तो यह सब जायज है। धोखा वहीं होता है, जहां विश्वास होता है।
मोदी जी को सारे अहम पदों पर पता नहीं क्यों उत्तराखंडी ही भाते हैं, लेकिन उत्तराखंडी नेताओं को बाहरी ही भाते हैं। घर की मुर्गी दाल बराबर। मोदी जी को आदमियों की समझ नहीं होगी क्या? उन्हें अनुभवी की जरूरत नहीं, जो हर बड़े पद पर उत्तराखंडी को तैनात कर देते हैं। मैम ने सही तो कहा है कि हमारे यहां 30-40 साल के अनुभवी नहीं, क्योंकि राज्य बने ही 22 साल हुए हैं।
वैसे, जब मैम इतना इमोशनल अत्याचार कर ही रही हैं, तो पत्रकार के तौर पर उन्हें बता दूं, उनका तो प्रदेश भाजपा ने पत्ता ही साफ कर दिया था। ये तो मीडिया थी कि सवाल उठा कर प्रेशर बनाया कि ऋतु को टिकट क्यों नहीं? वरना, अभी महिला मोर्चा का झंडा-डंडा ही उठा रहीं होतीं।
मैम, आपने न्याय किया, स्वागत है, हमें आपसे बहुत सी उम्मीदें हैं। आपकी यह सीट जनता की अमानत है। भूलें नहीं, हम पर इतना इमोशनल अत्याचार भी ठीक नहीं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

आओ, एक नयी लड़ाई लड़ें, खुद को बचाने के लिए

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here