चलो जोर लगाएं, एक कोशिश करें, रिश्तों पर 22 वर्षों से जमी धूल साफ करने की

अंकिता मर्डर के बाद नींद में डूबा पहाड़ कुछ जाग उठा है। उसे लग रहा है कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो हम अपने ही घरों में गुलाम और डरे-सहमे लोग बन जाएंगे। अंकिता शहीद है और उसकी शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए। उसने बलिदान देकर हम पहाड़ियों की संवेदनाओं को झकझोरने का काम … Continue reading चलो जोर लगाएं, एक कोशिश करें, रिश्तों पर 22 वर्षों से जमी धूल साफ करने की