- पिथौरागढ़ में जलाया वोकेशनल शिक्षा का दीप
- मानस कालेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की शुरुआत
कोरोना काल में सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में बड़ी संख्या में युवा वापस अपने शहर और गांव लौटे। कई महीनों तक बेरोजगार रहे। वापस लौटने वालों में इससे भी कहीं बड़ी संख्या में छात्र थे जो उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली, देहरादून और हल्द्वानी गये थे। कोरोना काल में सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना चलाई, लेकिन इसका लाभ अधिकांश छात्र या प्रवासी युवा नहीं ले सके। कारण, तकनीकी, व्यवसायिक ज्ञान का अभाव। ऐसे में स्वरोजगार जोखिम भरा होता। परिणाम यह योजना धड़ाम हो गयी और अधिकांश प्रवासी वापस मैदानों की ओर लौट गये।
ऐसे संवेदनशील हालात में दिल्ली-एनसीआर की एक नामी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर देवाशीष पंत भी कुछ दिनों के लिए अपने घर पिथौरागढ़ आए। देवाशीष लगभग 40 लाख के सेलरी पैकेज पर काम कर रहे थे। युवाओं की परेशानी और बेरोजगारी देख देवाशीष का मन व्यथित हो गया। उन्हें लगा कि यदि यहां के बच्चे तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षित होते तो उनको रोजगार के लिए दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा या दिल्ली-देहरादून के चक्कर नहीं काटने होंगे।
देवाशीष ने अपने पिता और नामी शिक्षाविद डा. अशोक पंत से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया और तय किया कि सीमांत जनपद में ही बच्चों को वोकेशनल और टेक्नीकल एजूकेशन देंगे। देवाशीष पंत के इसी विचार से 2021 में अंकुरित हुआ, मानस कालेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट यानी MCSTM. युवाओं को सशक्त और स्किल्ड बनाने की मुहिम शुरू हो गयी। MCSTM को अल्मोड़ा के एसएस जीना विश्वविद्यालय से संबंद्वता मिली है। यहां पांच कोर्स संचालित किये जा रहे हैं। इनमें बीएससी आईटी, बैंकिंग एंड फाईनेंसियल मैनेजमेंट, न्यूट्रीशियन एंड हेल्थकेयर साइंस, लाजिस्टिक मैनेजमेंट, एनीमेशन एंड ग्राफिक डिजाइन और ई-कामर्स एंड डिजिटल मार्केटिंग।
देवाशीष की इस मुहिम के चलते लगभग एक दर्जन से भी अधिक प्रतिभावान प्रवासियों की घर वापसी हुई। जो कि देश के विभिन्न इलाकों में अच्छे पदों पर काम कर रहे थे। इनमें एमबीए, एमटेक, एमएससी डाइटिक्टस, नेट क्वालीफाइल युवा शामिल हैं। देवाशीष का कहना है कि एक कोशिश है कि पिथौरागढ़, चम्पावत, टकनपुर और बागेश्वर के छात्रों को यहां वोकेशनल एजूकेशन देने की, ताकि यहां से पलायन रुक सके। देवाशीष का प्रयास है कि यहां के छात्र स्किल्ड और सशक्त हों। उनका फोकस छात्रों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है।
एमसीएसटीएम में मौजूदा समय में लगभग 40 लोग कार्यरत हैं। देवाशीष का यह स्टार्ट-अप है और पिथौरागढ़ जैसे सीमांत जनपद में वोकेशनल एजूकेशन की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
देवाशीष के रिवर्स माइग्रेशन और उसके स्टार्ट-अप के लिए शुभकामनाएं।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]