गरीबों का दुख-दर्द समझ रहे मंत्रियों के रिश्तेदार

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  • बहुत महंगी हो गयी शराब तो देसी का कर रहे जुगाड़

मंत्री के रिश्तेदार समझते हैं गरीबों का दुख-दर्द। अपनी भी एक मंत्री हैं, उनके दो रिश्तेदार 15 अगस्त को बरेली पुलिस ने दबोच लिए। बेचारों का कसूर सिर्फ इतना था कि गरीब पियक्कड़ों के लिए देसी दारू का जुगाड़ कर रहे थे। रिश्तेदार हों तो ऐसे। मंत्री भले ही गरीबों का ध्यान न रख रही हों, लेकिन रिश्तेदारों को पूरा एहसास है कि महंगाई का दौर है। अंग्रेजी का पव्वा बहुत महंगा है। ऐसे में भला क्या गुनाह कर रहे थे कि निर्दयी पुलिस ने दोनों को धर-दबोचा।
एक ओर आजादी के स्वर्णिम दिन बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप के दोषियों को जेल से रिहा किया जा रहा था तो दूसरी ओर देसी दारू जैसा मासूम सा गुनाह करने पर मंत्री के रिश्तेदारों को जेल में डाला जा रहा था। मंत्री जी के ये दोनों रिश्तेदार बहुत मासूम है, पुलिस को तुरंत बता दिया कि फलाने मंत्री के रिश्तेदार हैं।
मामला बेकार में ही हाई-प्रोफाइल हो गया। हम खबरनवीस तो इसी ताक में रहते हैं कि किसी धागे को किसी तरह से हाई-प्रोफाइल के गले के तार से जोड़ दें। मंत्री जी ने तो पहले ही विज्ञापन दिया है कि रिश्तेदारों से सावधान। हमारे नाम का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह अलग बात है कि जनता को समझ नहीं आ रहा है कि नेताओं के बारे में ऐसा ही विज्ञापन कहां और किसे दें?
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

लो उतर गया देशभक्ति का खुमार

 

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