ये घंजीर कानों से घुसकर, दिल में उतर जाता है!
गढ़वाली व्यंग्य लेखन में घंजीर का जवाब नहीं पहाड़ से दूर रहकर भी पहाड़ की हर घड़कन को गिन लेने का अद्भुत सामर्थ्य पलायन की पीड़ा पहाड़ की नीयति है और इसी पीड़ा से त्रस्त है सुनील थपलियाल घंजीर। बड़े होकर कुछ बड़ा बनने के सपने को लेकर घंजीर से पहाड़ तो छूट गया, लेकिन … Continue reading ये घंजीर कानों से घुसकर, दिल में उतर जाता है!
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