- 10 साल की उम्र में जीता नेशनल में उत्तराखंड के लिए गोल्ड मेडल
- एसबीपीएस फेंसिंग एकादमी में ले रही प्रशिक्षण
देहरादून के बंजारावाला की दस वर्षीय प्रकाम्या अभी पांचवीं कक्षा में है। जब आज के बच्चे मोबाइल गेम खेलकर अपना टाइमपास करते हैं तो प्रकाम्या घर की छत पर तलवारबाजी कर रही होती है। वह गजब की तलवारबाज है। जब वह महज सात साल की थी तो उसने अपने ताऊ प्रदीप कोठारी से तलवारबाजी के गुर सीखने शुरू कर दिये थे। वह बताती है कि घर की छत पर चॉक से लाइन बनाती और फिर प्रैक्टिस शुरू हो जाती। वह रोजाना दो से तीन घंटे नियमित तलवारबाजी कर रही है।
प्रकाम्या के समर्पण, सीखने की ललक और परिश्रम का परिणाम रहा है कि हाल में महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित नेशनल चाइल्ड फेंसिंग चैंपियनशिप में उसने अंडर-10 ग्रुप में सेबर में उत्तराखंड के लिए गोल्ड मेडल जीता है, जबकि अपने से बड़े आयु वर्ग अंडर-12 में ब्रांज मेडल हासिल किया। वह सोशल बलूनी फेंसिंग एकादमी में प्रशिक्षण ले रही है। उसके कोच प्रदीप कोठारी के अनुसार नेशनल में प्रकाम्या की फुर्ती और उसके अंक बटोरने की कला को देख जज और दर्शक अचंभित थे।
गौरतलब है कि तलवारबाजी अभी उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय नहीं है। उत्तराखंड में स्कूली स्तर पर फेंसिंग एकादमी की शुरुआत सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में हुई है। इस एकादमी में 50 से भी अधिक बच्चे तलवारबाजी के गुर सीख रहे हैं। नेशनल में एकादमी के अनिरुद्ध ढौंडियाल ने अंडर-12 में ब्रांज मेडल हासिल किया। अंडर -17 में एसबीपीएस एकादमी के वंश, अनुराग और कुशाग्र को रजत पदक मिला।
इन खिलाड़ियों को आज एसबीपीएस में बलूनी ग्रुप के एमडी विपिन बलूनी ने सम्मानित किया। उन्होंने विजेताओं को शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में फेंसिंग की नर्सरी तैयार की गयी है। उन्हें उम्मीद है कि यहां से अच्छे-अच्छे प्लेयर निकलेंगे जो कि देश-दुनिया में अपना और उत्तराखंड का नाम रोशन करेंगे।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]