जाते-जाते बेरोजगारों को झुनझुना पकड़ा गए तीरथ

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  • 180 दिनों में कैसे होंगी 22 हजार पदों पर भर्तियां?
  • नर्सिंग, वन दारोगा, वन रक्षक के पद तो अब तक नहीं भरे गए

2 जुलाई को जब तीन महीने के सीएम तीरथ सिंह रावत दिल्ली से लौटे तो उनके इस्तीफा देने की चर्चा थी। रात दस बजे तीरथ सिंह रावत ने प्रेस कांफ्रेंस की। सब पत्रकार सोच रहे थे कि इस्तीफे का जिक्र होगा, लेकिन विदाई की इस बेला में भी तीरथ ने झूठ बोला। इस्तीफे का जिक्र नहीं किया और अपनी तीन महीने की उपलब्धियां गिनाईं और साथ ही सरकारी विभागों में 22 हजार पदों की भर्तियां करने की बात कही।
दरअसल, तीन महीने में ही उत्तराखंड की देश भर में फजीहत करवाने वाले इस सीएम से भाजपा ने भी राजनीतिक मतलब निकलवा लिया। भाजपा जानती है कि महज 6 महीने में 22 हजार तो क्या पांच हजार भर्तियां कराने में भी पसीने छूट जाएंगे तो क्यों न जाते हुए सीएम से यह झूठा वादा करा लिया जाएं। जिसकी पहले ही फजीहत हो चुकी हो तो उसकी एक और फजीहत हो जाएं, तो क्या फर्क पड़ता है। सो, यहां भी भाजपा ने तुरुप का इक्का फेंक युवाओं को अपनी पार्टी और उम्मीदों से जुड़े रहने के लिए सरकारी नौकरियों की चाल चल दी।
यदि भाजपा सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर सीरियस होती तो यह बात नए सीएम पुष्कर सिंह धामी से कहलवाते। चूंकि पार्टी का पता है कि यह संभव नहीं है और सीएम को बार-बार मीडिया से दो-चार होना होगा। विपक्ष सवाल पूछेगा? तो विदाई के वक्त तीरथ से यह बात कहला दी। यदि अब भी सीरियस है तो तुरंत विज्ञप्तियां निकालें। करें भर्ती। पर बता दूं, उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के बस की यह भर्तियां नहीं हैं। विभिन्न एजेंसियों से भर्तियां करानी होंगी। पर सरकार को इससे अधिक तो चेंज आफ लैंड यूज्ड की बात करनी थी। भाजपा कार्यालय के लिए हरी झंडी जरूरी थी क्योंकि क्या पता कल भाजपा की सरकार में वापसी हो न हो। भाजपा सरकार जब सरकारी नौकरियों पर भर्ती नहीं कराएगी तो बेरोजगारों को एक साल दो या दो साल क्या फर्क पड़ता है। वो तो कई साल परीक्षाएं ही दिए जा रहे हैं, लेकिन नौकरी नहीं मिली।
अब सरकारी नौकरियों में आंकड़ों की बात। 316 वन दारोगों की परीक्षा 25 जुलाई तक होगी। महज 80 हजार अभ्यर्थी हैं। इनके परीक्षा में बैठने की जगह नहीं। नर्सिंग 2621 की परीक्षाएं मई से स्थगित हुई तो आज तक नहीं हुईं। समूह के 854 पदों की भर्ती नहीं हो पाई है। इस परीक्षा के लिए भी 2 लाख 19 हजार आवेदक हैं। फारेस्ट गार्ड परीक्षा का रिजल्ट रुका है। पिछले साल अगस्त माह में पुलिस में 22 आईटी सब इंस्पेक्टर का रिजल्ट आया था उन्हें जून में ज्वाइनिंग दी है। यानी रिजल्ट आने के बाद भी ज्वाइनिंग समय पर नहीं दी जाती है। अधिकांश विभागों को समय पर वेतन नहीं मिलता। कारण, नेताओं के पास विजन है नहीं। अधिकांश नेता कमीशनखोर और भ्रष्ट हैं। उन्होंने अपना और अपने रिश्तेदारों का विकास किया लेकिन प्रदेश का नहीं। अफसर नेताओं की कमजोरी जानते हैं कि अधिकांश नेताओं को कमीशन से मतलब है। बस, हो गया विकास, प्रदेश का नहीं नेताओं और अफसरों का।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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