हिमालय और गढ़वाल के नाम पर छात्रों से करोड़ों की लूट

1996
  • हिमालयन गढ़वाल विश्विद्यालय का कारनामा, ऐसे संस्थान खुलेंगे तो पहाड़ का क्या भला होगा?
  • पैरा-मेडिकल की अनुमति नहीं, फिर भी कोर्स संचालित, सवालों के घेरे में चिकित्सा परिषद

पौड़ी गढ़वाल के पोखड़ा स्थित हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2017 से ही न केवल पहाड़ के सैकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय किया है, बल्कि फीस के तौर पर करोड़ों कमा लिये। इस विश्वविद्यालय के पास पैरामेडिकल कोर्स के लिए न तो शासन की अनुमति थी और न ही पैरामेडिकल संस्था की और न ही चिकित्सा शिक्षा परिषद की। और तो और जब कोई नया पैरामेडिकल कालेज खुलता है तो उसे महज एमएलटी और बीपीटी की 30 सीटों की अनुमति मिलती है लेकिन इस विश्वविद्यालय ने लगातार तीन साल तक 120-120 छात्रों को दाखिला दिया। बीपीटी में भी 60-60 बच्चों को दाखिला दिया।
जब यह बात शासन और चिकित्सा शिक्षा परिषद के संज्ञान में आई तो अब लीपा-पोती करने की कोशिश की जा रही है। इस विवि के कुलसचिव पी. के डे ने एक हलफनामा दिया कि जानकारी के अभाव में कोर्स संचालित किया गया और गलती के लिए खेद है। जो दंड होगा उसे वहन कर लिया जाएगा। (सभी दस्तावेज मेरे पास हैं) विश्वविद्यालय को पता है कि दंड महज पांच लाख ही होगा। कुछ ले-दे कर मामला सुलटा लिया जाएगा जबकि जानकारी के अनुसार फीस के तौर 12 करोड़ रुपये वसूले गये। यानी संस्थान को तीन साल में ही लगभग दस करोड़ का लाभ हो गया। सवाल यह भी है कि यदि ऐसे छात्रों को एलएलटी या बीपीटी की डिग्री दी जाएगी तो वो मरीजों की जान के भी दुश्मन भी बन सकते हैं, क्योंकि आरोप है कि उन्हें कहीं क्लीनिकल ट्रायल नहीं दिलाया गया। न ही उनके पास कोई अस्पताल है। बताया जाता है कि विश्वविद्यालय ने पौड़ी अस्पताल का हवाला दिया है।
इस निजी विश्वविद्यालय के बारे में कहा जा रहा है कि इसने पूरे प्रदेश में लगभग 50 फ्रेंचाइजी भी बांट दी हैं, जबकि निजी विश्वविद्यालय फ्रेंचाइजी नहीं दे सकता। इस मामले में अल्मोड़ा के जय श्री कालेज। इसने भी हिमालयन गढ़वाल विवि की फर्जी डिग्री छात्रों को दे दी। यह मामला पुलिस ने दर्ज कर लिया है। जब इस संबंध में जयश्री कालेज के संचालक से जोशी से बात की तो पत्रकार सुनते ही उसने फोन काट दिया और उठाया ही नहीं। रजिस्ट्रार मुकेश राय से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन उन्होंने भी फोन नहीं उठाया।
सूत्रों के अनुसार आरोप है कि इस विवि ने पिछले पांच साल में 10 हजार से भी अधिक डिग्रियां बांट दी हैं। अब यह उच्चस्तरीय जांच का विषय है कि आखिर पहाड़ के सुदूर इलाके में क्या शिक्षा के नाम पर गोरखधंधा चल रहा है। इस मामले में मैं लगातार सीरीज लिखूंगा कि किस तरह से हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय में शिक्षा के नाम पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। और आखिर वो कौन लोग हैं जो इनको बचाने में जुटे हुए हैं। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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