उत्तराखंड निर्माण में मील का पत्थर बने ये शिक्षक

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  • संस्कारपूर्ण शिक्षा, तकनीक, विज्ञान, चिकित्सा के क्षेत्र में स्थापित किए नए आयाम
  • फर्जी बुआ नहीं, हमदर्द बन कर वंचित बच्चों को सीख देने में जुटी कनिका

डा. नवीन बलूनी रेडियोलॉजी और फिजियोलॉजी के विशेषज्ञ डाक्टर हैं। पिता सूबेदार थे। रात दिन मेहनत की और आगरा के एसएन मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया। डाक्टर बन गए। लेकिन पढ़ाई के दौरान दो गरीब बच्चों को नि:शुल्क मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाई। दोनों सलेक्ट हो गए। डाक्टर बलूनी गुरुजी बन गए। पिछले 20 साल के दौरान बलूनी क्लासेस ने उत्तराखंड और इस देश को हजारों डाक्टर और इंजीनियर दे दिए। शिखर पर होने के बावजूद डा. बलूनी आज भी नियमित बच्चों को सब्जेक्ट पढ़ाते हैं। संपन्न्ता के साथ सामाजिक दायित्व की भावना भी है। इसलिए बलूनी क्लासेस में हर साल सुपर-50 बच्चों को नि:शुल्क कोचिंग दी जाती है।
सौम्य, मधुर और विनम्र स्वभाव के निशांत थपलियाल इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट आफ टेक्नोलॉजी यानी आईटीएम के चेयरमैन हैं। यहां बच्चों को अन्य विषयों के साथ आईटी, एनीमेशन और मास कम्युनिकेशन की शिक्षा दी जाती है। चेयरमैन थपलियाल संस्थान में कई बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देते हैं। सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों में सहयोग करते हैं। अपने संस्थान के बच्चों को क्वालिटी एजूकेशन के साथ ही संस्कारों की सीख देते हैं। निशांत अक्सर क्लासेस लेते हैं और बच्चों को मोटिवेशन स्पीच देते हैं।
अवकाश प्राप्त कर्नल राकेश कुकरेती अन्य फौजी अफसरों की तरह गोल्फ या तम्बोला खेलने में वक्त नहीं जाया करते। उन्होंने नवादा में कर्नल रॉक्स स्कूल खोला और वहां अपनी पत्नी इरा कुकरेती के साथ बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कारों की सीख देते हैं। मेरा दावा है कि ये स्कूल देहरादून के बेस्ट प्राइमरी स्कूल में से एक है। इस स्कूल की फीस भी देहरादून में सबसे कम है और क्वालिटी एजूकेशन जबरदस्त। यकीन न हो तो प्लीज एक बार इस स्कूल में जरूर जाएं।
मेहनत कर सफलता के शिखर पर चढ़ना किसे कहते हैं, यह सीख सीआईएमएस के चेयरमैन ललित जोशी से ली जा सकती है। ललित ने बेहद अभावों से जीवन का सफर शुरू किया। अपनी मेहनत, लगन और कुछ कर गुजरने के जज्बे के साथ आज वो पैरा-मेडिकल एजूकेशन के क्षेत्र में सबसे आगे हैं। नर्सिंग, एनएनए, बीपीटी, समेत अनेक कोर्स कराते हैं। ललित एक करियर मोटिवेटर हैं। उन्होंने युवाओं में नशे के खिलाफ अभियान सजग इंडिया छेड़ा है। प्रदेश के एक हजार से भी अधिक स्कूल-कालेजों में नशे के खिलाफ अभियान चला चुके हैं। कोरोना काल में अनाथ हुए 100 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा की घोषणा कर चुके हैं।
कनिका विजान एक ऐसी शिक्षिका है जिसने रोडवेज की बस से सबक सीखा। दिल्ली यूनिर्विटी के करोड़ीमल कालेज की छात्रा जब देहरादून के आईएसबीटी पर उतरी तो कुछ बच्चों ने भीख के लिए उसके आगे हाथ फैलाये। उसने उन बच्चों का हाथ धाम लिया। सोचा और सारथी एजेकेशन ग्रुप बना दिया। कनिका माली-धोबी, बाई, कूड़ा बीनने वाले और भीख मांगने वाले बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने का काम कर रही है। उनको बुनियादी शिक्षा देती है और फिर स्कूलों में उनका दाखिला भी करवाती है। आज आलम यह है कि भीख मांगने वाले वही बच्चे अनुशासित होकर आईएसबीटी पुल से होकर सारथी स्कूल तक पंक्तिबद्ध होकर आते और जाते हैं।
शिक्षा और समाज निर्माण में जुटे इन शिक्षक-शिक्षिकाओं को सलाम।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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